Does the smell from mouth be considered evidence of alcohol or intoxication
नई दिल्ली। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (National Consumer Disputes Redressal Commission) ने एक विवाद का फैसला सुनाते हुए कहा कि यदि किसी के मुंह से बदबू आ रही है तो इससे यह साबित नहीं होता कि व्यक्ति ने शराब पी रखी है और शराब की मात्रा नियमानुसार प्रतिबंधित से अधिक है। इसके लिए मेडिकल रिपोर्ट का होना जरूरी है। इसी के साथ राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने बीमा कंपनी को 9% ब्याज सहित बीमा क्लेम अदा करने का आदेश दिया।NCDERC के अनुसार, सिर्फ मुंह से बदबू आने पर यह नहीं माना जा सकता कि ड्राइवर ने दुर्घटना के समय शराब पी रखी थी या नहीं, बल्कि यह सिर्फ मेडिकल जांच के सबूतों से ही साबित हो सकता है। इसलिए एनसीडीआरसी ने दुघर्टना में हुए नुकसान की भरपाई की मांग को स्वीकार किया और बीमा कंपनी को छह सप्ताह के भीतर नुकसान का आकलन करने को कहा। साथ ही उसके बाद छह सप्ताह में कंपनी को नुकसान की भरपाई करने का भी आदेश दिया। इसके अतिरिक्त बीमा कंपनी को शिकायत दाखिल होने की तारीख से 9% की दर से ब्याज भी देना होगा।
2007 का है मामला
यह मामला 2007 का है। NCDRC के जस्टिस वीके जैन ने दिल्ली राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के फैसले के खिलाफ दाखिल पर्ल ब्रेवरेज लिमिटेड की अपील स्वीकार करते हुए यह फैसला सुनाया। वाहन मालिक ने दुर्घटना से हुए नुकसान की भरपाई के लिए इंश्योरेंस कंपनी में दावा दाखिल किया था, लेकिन बीमा कंपनी ने तब कहा कि वाहन चालक ने शराब पी रखी थी और इसलिए उसका दावा खारिज किया गया।
इसके बाद वाहन मालिक ने राज्य उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कर बीमा की रकम और नुकसान की भरपाई दिलाने की मांग की थी। मालूम हो कि अगर वाहन चलाते समय चालक के शरीर में 100 एमएल रक्त में 30 एमजी से ज्यादा अल्कोहल होता है, तो उसपर जुर्माना लगता है।
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