महोदय, व्यवसायिक शिक्षा आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का आधार है। हम 1252 प्रशिक्षक गौरवशाली है कि हमारे माध्यम से मप्र के 626 हायर सेकेण्डरी स्कूलों में विगत 5 वर्ष से हजारों छात्रों को व्यवसायिक शिक्षा और रोजगार मिला। उद्योगों को कुशल मानव संसाधन मिला। क्या यह दुर्भाग्यपूर्ण नही है कि हम प्रशिक्षकों को लॉकडाउन में ही सेवा से पृथक किया गया तथा तीन महीने का वेतन भुगतान भी नही किया गया है। जबकि देश के अन्य राज्यों में केंद्र की गाईड लाइन को मानते हुए अपने-अपने प्रशिक्षकों की सेवायें निरंतर जारी रखी।
उल्लेखनीय होगा कि मप्र शासन ने व्यवसायिक शिक्षा के लिए कंपनियों से अनुबन्ध किया है।कम्पनी ने तकनीकी रूप से योग्य, दक्ष उम्मीदवारों का शासकीय नियमानुसार साक्षात्कार लेकर 5 वर्ष पूर्व प्रशिक्षक नियुक्त किया था। अतः माननीय महोदया, हजारों छात्रों को रोजगार देने वाले प्रशिक्षकों को बेरोजगार होने से बचाया जावे, हमारी आजीविका के संकट को पैदा करने वाली समस्याओ का निम्नानुसार निराकरण का निवेदन है।
1) टेंडर ( कम्पनी) के माध्यम से व्यवसायिक शिक्षा परियोजना चलाने के बजाय RAMSA के माध्यम से संविदा अथवा नियमित आधार पर पूर्व से कार्यरत प्रशिक्षको को के माध्यम से ही संचालित की जावे।
"व्यवसायिक शिक्षा के प्रति वर्ष 7 से 8 करोड़ रुपये जो कंपनियो को मॉनिटरिंग के नाम से दिये जाते हैं बचाया जाये क्यूँ की इनका कोई कार्य व्यावसायिक शिक्षा संचालन में (लोक शिक्षण संचालनालय की वर्ष 20-21 की नीति) कोई दायित्व निर्धारित नहीं है "
और यदि एसा संभव न हो तो।
2) नए टेंडर में 5 वर्ष से लगातार सेवा दे रहे अनुभवी प्रशिक्षकों को सेवा में पुनः यथावत रखने की अनिवार्यता की शर्त रखी जावे।
(3) हमारी सेवाओं जो कि लॉक डाउन अवधि में अकारण आयुक्त महोदय द्वारा दिनाँक- 04/04/2020 के पत्र द्वारा स्थगित की गई जो कि केंद्र सरकार के विभिन्न आदेशों के विपरित हैं को निरस्त कर, हमारी सेवा पुनः निरंतर की जावे। एवं बकाया वेतन भुगतान तुरन्त कराया जावे।
धन्यवाद
व्यवसायिक प्रशिक्षक संघ मध्य प्रदेश