भारत सरकार भले ही दावा करे कि उसने चीन पर तीसरी डिजिटल स्ट्राइक करते हुए 118 मोबाइल एप पर प्रतिबंध लगा दिया है। इनमे पब्जी [PUBG Mobile game] भी है। घोषणा के 48 घंटे बाद भी देश में यह खेल खेला जा रहा है। मूलत: यह और ऐसे सारे खेल बाजारवाद की उपज है और मोबाईल बाजार और भारत की जनसंख्या के बीच इसका सीधा सम्बन्ध है। पब्जी [PUBG] एक चीनी खेल है। इस चीनी खेल को लेकर बच्चों में जबरदस्त क्रेज था और अब इसका तोड़ लेकर सिने अभिनेता अक्षय कुमार आए हैं। अक्षय कुमार ने अपने ट्विटर एकाउंट पर PUBG की टक्कर में उतारे गए गेम फौ जी [FAU-G] को पेश किया है। वैसे लगाये गये इस ताजे प्रतिबन्ध के साथ भारत में बैन होने वाले एप्स की संख्या 224 पहुंच गई है। इन एप्स पर प्रतिबंध डाटा प्राइवेसी को लेकर किया गया है।
कम्प्यूटर और मोबाईल पर खेले जाने वाले कितने खतरनाक होते हैं, इसका अंदाज़ “ब्लू व्हेल” के परिणाम स्वरूप हुई मौतों से लगाया जा सकता है |’ब्लू व्हेल “ गेम भी एक ऐप्प आधारित खेल था |जिसे मोबाइल और कंप्यूटर पर डाउनलोड किया जाता है। इस खेल को खेलने वालों को हर रोज नया चैलेंज दिया जाता है। ५० दिनों तक यह खेल खेला जाता था । हर दिन खेल पूरा करने के बाद खेलने वाले को अपने हाथ में काटने का एक निशान बनाना पड़ता था । खेल पूरा होने के बाद व्हेल की आकृति बनकर उभरती है और अंतिम टास्क में आपको सुसाइड करने के लिए कहा जाता है।
इस इंटरनेट गेम 'ब्लू व्हेल' की वजह से भारत में आत्महत्या के कई मामले सामने आए । पहला मामला मुंबई में सामने आया जहां एक छात्र ने बिल्डिंग से छलांग लगा ली थी। मुंबई के बाद पश्चिम बंगाल में १४ साल के एक छात्र ने जान दे दी थी । पुणे और इंदौर जैसे शहरों में भी बच्चों के ब्लू व्हेल के झांसे में आने की खबरें आईं है। ऐसा ही वाकया केरल में भी सामने आया था ।ब्लू व्हेल गेम की शुरुआत २०१३ में रूस से हुई थी। इस गेम की वजह से रूस में आत्महत्या का पहला मामला २०१५ में सामने आया था और नवंबर २०१५ से अप्रैल २०१६ के बीच लगभग १३० युवाओं ने खुदकुशी की। यह जानलेवा गेम बाद में इंग्लैंड और अमेरिका भी पहुंच गया। दुनियाभर में लगभग २५० से ज्यादा लोग इस खेल का शिकार हो चुके है ।
प्रतिबंधित पब्जी के भारत में मोबाइल यूजर्स की संख्या १७५ मिलियन यानी करीब १७.५ करोड़ है, जो कि दुनिया के किसी भी देश के मुकाबले सबसे ज्यादा है ।पब्जी मोबाइल गेम के लोकप्रिय होने के साथ ही बाज़ार में स्मार्टफोन की डिस्प्ले की रिफ्रेश रेट की बात होने लगी थी , क्योंकि पब्जी गेम के लिए हाई रिफ्रेश रेट वाले डिस्प्ले की जरूरत होती थी । बाजार में नये ब्रांड और फीचर्स वाले मोबाईल की होड़ लग गई |पब्जी मोबाइल के कारण ही तमाम मोबाइल कंपनियों को 90Hz या 120Hz की रिफ्रेश रेट डिस्प्ले के साथ फोन को बाज़ार में उतारना पड़ा। अधिक रिफ्रेश रेट के कारण फोन की बैटरी जल्दी खराब हुई और बैटरी बाज़ार की मनमानी शुरू हुई ।
पब्जी की लोकप्रियता का कारण नगद इनाम भी था। इस खेल में रोज टूर्नामेंट होता था जिसमें एक साथ कई प्लेयर्स हिस्सा लेते थे और लाखों रुपये का मैच होता था। यह टूर्नामेंट राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तर पर होता था। इसके अलावा कई टूर्नामेंट में प्लेयर्स को वनप्लस जैसे प्रीमियम स्मार्टफोन भी मिलते थे।बाज़ार में मोबाइल कंपनियों को फोन की लॉन्चिंग के दौरान जोर देकर बताना पड़ता था कि उनका फोन पब्जी खेलने पर गर्म नहीं होगा, हैंग नहीं होगा और हाई फ्रेम रेट पर यूजर गेम खेल सकेंगे|
प्ब्जी की टक्कर में उतारे गए गेम फौ जी [FAU-G] एक भारतीय कम्पनी का उत्पाद है |इसकी खास बात यह है कि गेम से होने वाली कमाई का एक हिस्सा भारत के वीर ट्रस्ट को दिया जाएगा. इस ट्रस्ट को गृह मंत्रालय ने गठित किया है|
अब सबसे बड़ा सवाल वैश्विक रूप सबसे बड़ी भाषा होने का दम भरने वाली अंग्रेजी के साथ बदसलूकी का है | अंग्रेजी में शब्द की संक्षिप्तता [Abbreviations] के लिए कुछ नियम है| इन नियमों को ताक़ पर रख कर खेल का नाम रखा जाता है जैसे P U B G – PLAY UNKOWN BATTLE GROUND है तो F A U-G – FEARLESS AND UNITED GUYS है | अब विचार करने की बात यह है कि इन खेलों से किसका और कैसा विकास होता है।
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।