POCSO Act क्या है, बच्चों पर दरिंदगी करने वालों को किस तरह मौत की नींद सुला देता है, जरूर पढ़िए - KNOW THE LAW

Bhopal Samachar
नन्ही थी, कली थी, पापा की गोद में पली थी। कहते हैं छोटी-छोटी नन्ही सी बच्ची  आँगन में खेलती है तो, उनको देख कर बहुत अच्छा लगता है। लेकिन हमारे देश में कुछ ऐसे दरिंदे लोग हैं जो इन बच्चों के बचपन को ही खत्म कर देते हैं और अपनी हवस का शिकार बना लेते थे। इसी को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने वर्ष 2012 में एक कानून बनाया था POCSO act. इसमें वर्ष 2018 में कुछ संशोधन भी किये गए:-

लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण अधिनियम- 2012 के प्रावधान:-

(1). भारतीय दंड संहिता, 1860 के अनुसार सहमती से संभोग करने की उम्र को 16 वर्ष से बढाकर 18 वर्ष कर दी गयी हैं, मतलब यदि कोई व्यक्ति (एक बच्चा सहित) किसी बच्चे के साथ उसकी सहमती या बिना सहमती के यौन कृत्य करता है तो उसको पोक्सो एक्ट के अनुसार सजा मिलनी ही है, यदि कोई पति या पत्नि 18 साल से कम उम्र के जीवनसाथी के साथ यौन कृत्य कराता है तो यह अपराध (बलात्संग) की श्रेणी में आएगा और उस पर POCSO एक्ट के अंतर्गत मुकदमा चलाया जाएगा।

(2). इस अधिनियम के सभी अपराधों की सुनवाई विशेष न्यायालय द्वारा कैमरे के सामने की जाती है।
(3). यदि आरोपी एक किशोर (18 वर्ष से कम उम्र का) है, तो उसके ऊपर किशोर न्यायालय अधिनियम, 2000 (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) में मुकदमा चलाया जाएगा।
(4). यदि पीड़ित बालक विकलांग है, मानसिक या शारीरिक रूप से बीमार है, तो विशेष अदालत को उसकी गवाही को रिकॉर्ड करने के उद्देश्य के लिए अनुवादक, दुभाषिया या विशेष शिक्षक की सहायता ली जाएगी।

(5) . इस अधिनियम में खुद को निर्दोष साबित करने का दायित्व आरोपी पर ही होता है, इसमें झूठा आरोप लगाने, झूठी जानकारी देने तथा किसी की छवि को ख़राब करने के लिए सजा का प्रावधान अलग से भी है।
(6).  इस अधिनियम में जो लोग यौन प्रयोजनों के लिए बच्चों का व्यापार (child trafficking) करते हैं, उनके लिए भी सख्त सजा का प्रावधान है।
(7). यह अधिनियम बाल संरक्षक की जिम्मेदारी पुलिस को सौंपता है,इसमें पुलिस को बच्चे की देखभाल और संरक्षण के लिए तत्काल व्यवस्था बनाने की ज़िम्मेदारी दी जाती है।
(8). पुलिस की यह जिम्मेदारी बनती है कि मामले को 24 घंटे के अन्दर बाल कल्याण समिति की निगरानी में लाये ताकि बाल कल्याण समिति बच्चे की सुरक्षा और संरक्षण के लिए जरूरी कदम उठा सके।
(9). इस अधिनियम में बालक की मेडिकल जांच के लिए प्रावधान भी किए गए हैं।
(10). इस अधिनियम में इस बात का ध्यान रखा गया है कि न्यायिक व्यवस्था के द्वारा फिर से बच्चे के ऊपर ज़ुल्म न किये जाएँ। एवं बच्चे की जानकारी गुप्त रखी जाए।

(11). इस अधिनियम में यह भी प्रावधान है कि विशेष न्यायालय, उस बच्चे को दिए जाने वाली मुआवजे की राशि का निर्धारण कर सकता है, जिससे बच्चे के चिकित्सा उपचार और पुनर्वास की व्यवस्था की जा सके।
(12). इस अधिनियम में बच्चे के यौन शोषण का मामला घटना घटने की तारीख से एक वर्ष के भीतर निपटाया जाना चाहिए। आदि बहुत से प्रावधान है। इस अधिनियम की धारा 7 एवं 8 में एक महत्वपूर्ण प्रावधान है अगर कोई व्यक्ति किसी बच्चे के गुप्तांग से सिर्फ छेड़छाड़ भी करता है तो उसको भी सजा का प्रावधान है।

लैंगिक उत्पीड़न बालक संरक्षण अधिनियम 2012 में सजा का प्रावधान:-
इस अधिनियम में कम से कम 5 वर्ष से लगाकर मृत्यु दण्ड तक कि सजा का प्रावधान है।
{पोस्को एक्ट बहुत ही विस्तृत है इसकी सामान्य जानकारी ही देना हमारा उद्देश्य है} बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

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