समय आ गया है, भारत के साथ ही विश्व की अन्यबड़ी ताकतों को अब चीन से दो टूक बात कर लेना चाहिए, और यदि उससे हल न निकले तो विश्व की अन्य शक्तियों को मिलकर चीन को सबक सिखाने की योजना बनाना चाहिए |ताजा मामला जो सामने आया है, उसके बाद तो अब नरमी की सम्भावना को कोई जगह नहीं है | ये मामला भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से लेकर देश के प्रमुख राजनेताओं, न्यायाधीशों, सैन्य अधिकारियों, उद्योगपतियों तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियों के डिजिटल डेटा का चीन द्वारा हो रहा संग्रहण है| राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से बेहद चिंताजनक मामला है| अनेक अख़बारों में इस आशय कके समाचार छपे हैं|
एक विस्तृत रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी सरकार व सेना से जुड़ी एक कंपनी लगभग दस हजार विशिष्ट भारतीयों तथा उनके करीबियों की इंटरनेट और सोशल मीडिया गतिविधियों की निगरानी कर रही है| इससे स्पष्ट है कि सामरिक और आर्थिक आक्रामकता के साथ डिजिटल मोर्चे पर सेंधमारी भी भारत के विरुद्ध चीन के हाइब्रिड युद्ध का हिस्सा है| वैसे भी भारत चीन के वायरस कोरोना से परेशान है ही |
वैसे तो सूचना तकनीक और इंटरनेट के विस्तार के साथ डिजिटल डेटा की सुरक्षा का मसला वैश्विक चिंता का कारण बन चुका है| साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे हाइब्रिड पैंतरे का इस्तेमाल विभिन्न देशों के भीतर तथा दूसरे देशों की निगरानी के लिए बीते कुछ सालों से हो रहा है, किंतु इस क्षेत्र में चीन की क्षमता बहुत अधिक है|चीनी कंपनियां अपने हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के वैश्विक प्रसार से भी बड़ी मात्रा में डेटा चोरी कर रही हैं| इस कारण से भारत सहित अनेक देशों ने चीन की डिजिटल तकनीक की कंपनियों और एप पर पाबंदी लगायी है, लेकिन इसके बावजूद चीन ने अपनी नीति सुधार के प्रयास नहीं किये हैं|
हमेशा की तरह चीनी कूटनीतिक प्रतिनिधियों ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है और आरोपों के घेरे में फंसी कंपनी ने अपना वेबसाइट बंद कर दिया है| कैंब्रिज एनालिटिका प्रकरण में सोशल मीडिया पर उपलब्ध लोगों के डेटा के दुरुपयोग की गंभीरता दुनिया के सामने आ चुकी है| कुछ साल पहले अमेरिकी एजेंसियों द्वारा की जा रही ऐसी ही निगरानी बड़े विवाद की वजह बनी थी| अब चीन के सन्दर्भ में डेटा की चोरी के अलावा डिजिटल धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा और हैकिंग के मामले बड़ी चुनौती बनते जा रहे हैं| यह सिर्फ भारत के लिए नहीं समूचे विश्व के लिए चुनौती है |
ऐसे में भारत के लिए राष्ट्रीय, सामरिक और आर्थिक सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए ठोस पहलकदमी बेहद जरूरी है| सबसे पहले पूरे प्रकरण की व्यापक जांच की जानी चाहिए और चीनी सरकार के सामने आधिकारिक शिकायत पुजोर तरीके दर्ज करायी जानी चाहिए| लद्दाख में तनातनी को सुलझाने के लिए शीर्ष स्तर पर भारत और चीन के बीच बातचीत का सिलसिला अभी जारी है| इसमें प्रमुख लोगों, उनके संबंधियों और सहयोगियों के डेटा के अवैध संग्रहण का मुद्दा भी उठाया जाना चाहिए| वैसे चीनी कंपनी भारत के अलावा अन्य कई देशों के विशिष्ट लोगों पर भी डिजिटल निगरानी रख रही है| इस दृष्टि से यह एक अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय भी है, समग्र विश्व को इस मुद्दे पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करना चाहिए |
वैसे भी इस मामले के साथ डेटा चोरी और सर्विलांस के अन्य मसलों को जोड़कर देखें, तो साफ होता है कि अब वैश्विक स्तर पर इस समस्या पर विचार करने की जरूरत है| भारत विभिन्न द्विपक्षीय और बहुपक्षीय मंचों पर इसे उठाकर चीन को कटघरे मे खड़ा कर सकता है| चाहे कोई विषय भौगोलिक हो, आर्थिक हो या फिर तकनीकी हो, चीन को मनमर्जी की इजाजत नहीं दी जा सकती है|
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।