क्या जानते हैं कैसे बैंकिंग, पेमेंट के एप के जरिए फर्जीवाड़ा करने वाले हैकरों की रातोंरात चांदी हो जाती है और कैसे देखते-ही-देखते आम लोगों की जिंदगीभर की कमाई उसकी आंखों के सामने से गायब हो जाती है।यद्यपि अभी ये रहस्य खुलने बाकी हैं कि आखिर कैसे सुरक्षा के लाखों दावों के बावजूद हैकरों को लोगों की निजी सूचनाएं, बैंक खातों और फोन नंबरों की जानकारी मिल जाती हैं। कैसे वे बहलाकर लोगों के खातों से रकम उड़ा लेते हैं। इस पर एक नए किस्म के खेल ने आम लोगों का दिमाग चकरा दिया है, जिसमें तमाम खेलों से जुड़े मोबाइल एप बनाने वाली कंपनियां लोगों को कुछ महीने ताश के रमी या कार रेसिंग जैसे गेम्स खेलने के बदले लाखों रुपये कमाने का प्रलोभन दे रही हैं। लालच परोसने के इस किस्से में इधर डिजिटल वॉलेट की सुविधा मुहैया कराने वाली एक देसी कंपनी (पेटीएम) और ग्लोबल इंटरनेट कंपनी-गूगल के बीच हुई जंग ने भी नया तड़का लगाया है,
मामला डिजिटल पेमेंट और खरीदारी आदि कराने वाली देसी कंपनी-पेटीएम के हालिया ऑफर से जुड़ा है, जिसमें उसने क्रिकेट टूर्नामेंट-आईपीएल को भुनाने की कोशिश के तहत स्क्रैचकार्ड और कैशबैक एक नया ऑफर अपने ग्राहकों के लिए पेश किया। इस प्रस्ताव में ग्राहकों को प्रलोभन दिया गया कि उसके डिजिटल पेमेंट गेटवे से तमाम तरह की खरीदारियों के बदले स्क्रैच कार्ड और आईपीएल खिलाड़ियों के स्टीकर मिलेंगे। एक निश्चित संख्या पर स्टीकर जमा होने के बाद ग्राहक उन स्क्रैच कार्ड पर जाकर कुछ रकम वापस पा सकेंगे।
मोबाइल वॉलेट की सुविधा देने वाले डिजिटल एप लम्बे अरसे से ऐसे लुभावने ऑफर दे रहे हैं और सट्टेबाजी के आरोप लगने के बावजूद उन पर कोई कार्रवाई अब तक देश में मांग उठने पर भी नहीं हुई है। लेकिन इधर पेटीएम के इस ऑफर को एक नीतिगत अपडेट के तहत गूगल ने आपत्तिजनक माना और पेटीएम के एप को अपने एप स्टोर ‘प्ले स्टोर’ से हटा दिया। और पेटीएम का एप प्ले स्टोर पर तभी वापस आ सका, जब उसने क्रिकेट से संबंधित कैशबैक वाला ऑफर हटाने की घोषणा की। हालांकि, यह बात तब और बढ़ गई, जब पेटीएम ने गूगल पर आरोप लगाया कि जिस ऑफर के लिए गूगल ने उस पर कार्रवाई की, ठीक वैसा ही ऑफर खुद गूगल के डिजिटल पेमेंट गेटवे ‘गूगल पे’ पर मौजूद है।पेटीएम ने कुछ और तर्क दिए हैं। जैसे भारत में डिजिटल पेमेंट की सुविधा देने वाली व्यवस्थाओं में कैशबैक और स्क्रैच कार्ड- दोनों ही पेशकशों को वैध माना गया है और कैशबैक की सुविधा सरकार के नियम-कायदों के दायरे में ही दी जा रही है।
हमारे देश में स्थितियां काफी संदिग्ध हैं और इस तरह के मामलों को राज्य सरकारों पर छोड़ा गया है। इससे जुड़ी एक हलचल इस साल तेलंगाना सरकार के एक अध्यादेश के बाद मद्रास हाईकोर्ट की मदुरई पीठ की दलील से पैदा हुई थी। असल में, जुलाई, 2020 में मद्रास हाईकोर्ट की इस बेंच ने मांग की थी कि केंद्र और राज्य सरकारें ऑनलाइन गेम पर प्रतिबंध लगाने वाले कानूनों को पारित करें, जिनमें ऑनलाइन रमी, कार्ड गेम और अन्य गेम्स शामिल हैं। अदालत ने तेलंगाना गेमिंग अधिनियम 1974 में संशोधन करते हुए ऑनलाइन रमी पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसका मतलब यह था कि राज्य के रियल कैश गेम के खेलने पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है।
मद्रास हाईकोर्ट के फैसले की रोशनी में पेटीएम और गूगल की ताजा जंग को देखें तो कह सकते हैं कि आईपीएल के बहाने स्क्रैच कार्ड और कैशबैक का ऑफर असल में ऑनलाइन जुए को ही एक प्रोत्साहन है। अगर, गूगल का तर्क है कि वह इस संबंध में नीतिगत फैसलों से बंधा हुआ है तो पेटीएम का यह तर्क अपनी जगह सही प्रतीत होता है कि गूगल प्ले स्टोर की नीतियां भेदभाव करने वाली हैं। पेटीएम के मुताबिक खुद गूगल पे ने आईपीएल की शुरुआत के साथ एक स्कीम पेश की है, जिसमें साफ कहा गया है कि ग्राहक एक लाख तक का निश्चित इनाम पाने के लिए ज्यादा से ज्यादा भुगतान करते हुए वर्चुअल रन बनाएं। एक तय संख्या में रनों का अंबार लगने पर ग्राहक इनाम में कैशबैक पा सकेंगे। बहरहाल, गूगल और पेटीएम के बीच छिड़ी इस जंग का नतीजा इस रूप में आना चाहिए कि केंद्र और राज्य सरकारें ऑनलाइन रम्मी, स्क्रैच कार्ड व स्टीकर जुटाने के रूप में चल रही सट्टेबाजी को नियंत्रित करने का ठोस प्रयास करें।
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।