नई दिल्ली। लोन मोरेटोरियम मामले में भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत किए गए एफिडेविट में कहा है कि सरकार 6 महीने की लोन मोरटोरियम अवधि के दौरान ब्याज पर ब्याज की छूट देने के लिए तैयार है लेकिन इस छूट का लाभ केवल 2 करोड रुपए तक का लोन लेने वाले उद्यमियों को ही मिलेगा। वित्त मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अनुदान का प्रावधान करने के लिए संसद से मंजूरी लेनी पड़ेगी।
8 श्रेणियों के लोन में ब्याज पर ब्याज नहीं लगेगा: वित्त मंत्रालय
वित्त मंत्रालय ने अपने एफिडेविट में कहा कि सरकार ने सर्वाधिक प्रभावित वर्ग को राहत देने का फैसला किया है। सरकार ने लोन को कुल आठ श्रेणियों एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम), शिक्षा, आवास, कंज्यूमर ड्यूरेबल, क्रेडिट कार्ड बकाया, ऑटो, पर्सनल और उपभोग में बांटा है। इनमें से एमएसएमई और पर्सनल लोन के मामले में मोरेटोरियम का फायदा लेने वालों को ब्याज पर ब्याज से छूट देने का फैसला किया गया है।
लोन मोरेटोरियम का अर्थ ब्याज से मुक्ति नहीं होता: वित्त मंत्रालय, भारत सरकार
सरकार ने यह भी कहा कि बैंकिंग से जुड़े ज्यादातर ग्राहक इस बात को अच्छी तरह से समझते हैं कि लोन मोरेटोरियम का अर्थ ब्याज से राहत नहीं होता है। यही कारण है कि 50% से ज्यादा लोगों ने EMI भरते रहने का ही विकल्प चुना। यह बात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करते हुए कही।
आरबीआई ने लोन मोरेटोरियम सर्कुलर कब जारी किया था
ब्याज पर ब्याज की छूट में दो करोड़ रुपये तक के लोन शामिल होंगे। दो करोड़ से ज्यादा के लोन वालों को यह छूट नहीं मिलेगी। Corona महामारी के कारण लोगों के सामने आई आर्थिक दिक्कत को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने 27 मार्च को लोन मोरेटोरियम को लेकर सर्कुलर जारी किया था। इसमें एक मार्च से 31 मई के बीच लोन की EMI भरने से राहत देने का प्रावधान किया गया था। बाद में यह राहत 31 अगस्त तक बढ़ा दी गई थी। इसके तहत EMI को बाद में भरने का विकल्प चुना जा सकता है। जितनी अवधि के लिए EMI नहीं भरी जाती है, उस दौरान ब्याज पर ब्याज का भुगतान करना होता है।
पहले सरकार ने ब्याज पर ब्याज की छूट देने से इंकार कर दिया था
इससे पहले सरकार ने अपने हलफनामे में कहा था कि मोरेटोरियम अवधि के दौरान ब्याज पर ब्याज से छूट देना अर्थव्यवस्था के मूल सिद्धांतों के विरुद्ध होगा। सरकार ने यह भी बताया कि यदि हर तरह के लोन पर छह महीने ब्याज पर ब्याज से छूट दी जाए तो इससे बैंकों पर छह लाख करोड़ रुपये का दबाव पड़ेगा। इसे संभालना बैंकों के लिए असंभव होगा।