कोरोनावायरस महामारी के बाद लाखों लोगों की नौकरियां छूट गई है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भी आत्मनिर्भर होने की अपील की है। महामारी के कारण प्रदूषण एक बड़ा मुद्दा बन गया है क्योंकि प्रदूषित हवा में हानिकारक कीटाणु तेजी से पनपते हैं। भारत सरकार के परिवहन विभाग ने वाहनों में प्रदूषण को लेकर कड़े नियम बना दिए हैं। नई मोटर व्हीकल एक्ट के तहत यदि कोई वाहन निर्धारित मानक से ज्यादा प्रदूषण फैलाता हुआ मिला तो उस पर मोटा जुर्माना लगाया जाता है। यह काफी अच्छा समय है जब नया प्रदूषण जांच केंद्र खोला जाए। एक अनुमान के अनुसार 20 लाख की आबादी वाले क्षेत्र में व्यस्ततम इलाके में प्रदूषण जांच केंद्र से ₹50000 महीना तक की कमाई की जा सकती है।
PUC के लिए कैसे अप्लाई करें
सबसे पहले अपने नजदीकी RTO (रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफीसर) के ऑफिस में संपर्क करें एवं लाइसेंस की प्रक्रिया पूरी करें।
भारत के किसी भी आरटीओ ऑफिस में प्रदूषण जांच केंद्र के लिए अप्लाई किया जा सकता है।
प्रदूषण जांच केंद्र किसी पेट्रोल पंप ऑटोमोबाइल सर्विस सेंटर के आसपास सबसे ज्यादा लाभदायक माने जाते हैं।
आवेदन करने के साथ ही 10 रुपए का एफिडेविट देना होगा।
एफिडेविट में टर्म एंड कंडीशन भी लिखनी होती हैं।
लोकल अथॉरिटी से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लेना होगा।
प्रदूषण जांच केंद्र की हर राज्य में अगल-अलग फीस है।
कुछ राज्यों में ऑनलाइन अप्लाई करने की भी सुविधा है।
ऑनलाइन अप्लाई करने के लिए https://vahan.parivahan.gov.in/puc/ पर जाकर रजिस्टर करना होगा।
दिल्ली में प्रदूषण जांच केंद्र खोलने की फीस
दिल्ली-NCR एप्लीकेशन फीस- 5000 रुपए (सिक्योरिटी डिपॉजिट)
सालाना फीस- 5000 रुपए
कुल - 10000 रुपए
प्रदूषण केंद्र खोलने की शर्तें
प्रदूषण जांच केंद्र पीले रंग के केबिन में ही खोला जा सकता है। यह इसकी पहचान के लिए है।
केबिन साइज- लंबाई 2.5 मीटर, चौड़ाई 2 मीटर, ऊंचाई 2 मीटर।
प्रदूषण केंद्र सेंटर पर लाइसेंस नंबर लिखना अनिवार्य है।
देश का कोई भी नागरिक, फर्म, सोसायटी और ट्रस्ट इसे खोल सकते हैं।
PUC खोलने के लिए संचालक के पास ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग, मोटर मैकेनिक्स, ऑटो मैकेनिक्स, स्कूटर मैकेनिक्स, डीजल मैकेनिक्स या फिर इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (ITI) से प्रमाणित सर्टिफिकेट होना चाहिए।
केंद्र खोलने के लिए क्या चाहिए?
प्रदूषण जांच केंद्र खोलने के लिए सबसे जरूरी कंप्यूटर, USB वेब कैमरा, इंकजेट प्रिंटर, पावर सप्लाई, इंटरनेट कनेक्शन, स्मोक एनालाइजर है। यह सभी लाइसेंस फीस से अलग खर्च में जोड़ा जाता है।
नियम और शर्त
प्रदूषण जांच केंद्र को गाड़ी के पॉल्यूशन चेक पर प्रिंटेड सर्टिफिकेट देना होगा। सर्टिफिकेट में सरकारी स्टिकर का लगा होना अनिवार्य है। प्रदूषण जांच केंद्र को सभी गाड़ियों की डिटेल्स एक साल तक अपने सिस्टम में रखना जरूरी है। PUC का लाइसेंस जिसके नाम पर है, सिर्फ उसी व्यक्ति के पास इसे ऑपरेट करने का अधिकार होगा। किसी और के ऑपरेट करने पर कार्रवाई की जा सकती है।