लूट या डकैत गिरोह के हथियारबंद सरगना को ज्यादा सजा क्यों होती है, यहां पढ़िए - ASK IPC

Bhopal Samachar
लुटेरों या डकैतों का गिरोह जब भी पकड़ा जाता है, गिरोह के सरगना को सबसे ज्यादा सजा होती है। सवाल यह है कि जब अपराध में सभी लोग समान रूप से शामिल होते हैं तो फिर हथियारबंद सरगना को सबसे ज्यादा सजा क्यों होती है। इसका मुख्य कारण यह है कि हथियारबंद सरगना ही संपत्ति के स्वामी को धमकी देता है और हमला करता है। आईपीसी में ऐसे अपराधी को सबक सिखाने के लिए धारा 397 का प्रावधान किया गया है।

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 397 की परिभाषा:-

अगर कोई व्यक्ति संयुक्त रूप से लूट या डकैती करते समय किसी घातक हथियार का प्रयोग करता है या किसी व्यक्ति की मृत्यु करके या गंभीर चोट पहुँचा के लूट या डकैती के अपराध को अंजाम देता है। तब वह व्यक्ति जो किसी सम्पत्तिधारी को हथियार दिखाता है या उसकी मृत्यु करता है या उसको गम्भीर चोट पहुचाता है। स्वंय इस धारा के अंतर्गत दंडनीय होगा। ओर उसके साथी इस धारा से क्षमा योग्य होंगे।
नोट:- डकैती में हत्या के लिए दूसरी धारा के अंतर्गत भी मामला दर्ज होता है। अगले लेख में स्प्ष्ट करेगे।

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 397 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-

इस धारा के अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं है। यह संज्ञेय एवं अजमानतीय अपराध है। इनकी सुनवाई का अधिकार सेशन न्यायालय को हैं। सजा- इस अपराध की सजा सात वर्ष से कम नहीं है, अधिकतम न्यायालय अनुसार निर्णय। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

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