अपराधों में Criminal breach of trust अर्थात विश्वासघात यह विश्वास भंग के अपराध को विशिष्ट अपराध मना गया है, क्योंकि यह एक ऐसा अपराध है जो व्यक्तियों के विश्वास को तोड़ता है। कहते हैं कि कोई विष दे-दे तो चलेगा मगर विश्वास घात करता है वो नहीं सहन होता है, आज हम आपको ऐसे ही अपराध की परिभाषा के बारे में जानकारी देंगे।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 405 की परिभाषा:-
अगर कोई व्यक्ति किसी भी अन्य व्यक्ति का निम्न प्रकार आपराधिक भावना से विश्वास तोड़ता है:-
1. अगर कोई सम्पत्तिधारी किसी व्यक्ति को अपनी संपत्ति(चल-अचल दोनो प्रकार की) विश्वास के साथ सौपता है या देता है। और वह व्यक्ति उस संपत्ति को बेच दे या खर्च कर दे या आपराधिक उद्देश्य से लेकर भाग जाए।
2. स्वामित्व द्वारा दी गई संपत्ति को लौटाने से मना करना।
3. कोई भी संपत्ति को गबन करने में बेईमानी की भावना होना।
4. यदि कोई व्यक्ति स्वयं संपत्ति को न गबन करके किसी अन्य को इसके लिए उत्प्रेरित करता है तब उसे भी आपराधिक न्यास भंग का अपराध होगा।
5.बिना बताए किसी शासकीय संपत्ति का गबन करना आदि।
उपर्युक्त कार्य अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर बेईमानी की भावना से करता है तब वह आपराधिक न्यास भंग की धारा 405 का दोषी होगा।
नोट:- इस धारा में हम आपराधिक न्यास भंग की परिभाषा को ही बताएगे। इससे संबंधित अपराधों को क्रमशः अगले लेख में बताएगे।
उधरणानुसार:- 1. एक वाद में स्त्री रेलवे टिकट घर से टिकट खरीदना चाहती थी, लेकिन टिकट की खिड़की पर अधिक भीड़ होने के कारण उसने खिड़की के पास खड़े व्यक्ति को अपने लिए टिकट खरीदने के लिए पैसे दिए। उस व्यक्ति ने महिला से पैसे ले लिए लेकिन टिकट खरीदने की बजाय पैसे लेकर भाग गया। इस वाद में न्यायालय ने आरोपी को आपराधिक न्यास भंग का दोषी ठहराया।
2. सम्राट बनाम मोजिज वाद:- इस वाद में आरोपी किसी भाड़ा क्रय योजना के अंतर्गत वाहन लिया और प्राइवेट कंपनी द्वारा एग्रीमेंट(अनुबंध) किया कि अगर वह वाहन का पूरा पैसा नहीं देगा तो वाहन कंपनी वाहन को वापस ले लेगी। लेकिन आरोपी न वाहन देने को तैयार था न पैसा इस वाद में न्यायालय ने परिवादी की शिकायत पर आरोपी को आपराधिक न्यास भंग का दोषी ठहराया। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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