भय दिखा कर जबर्दस्ती वसूली करना या कोई धरना की धमकी देकर किसी व्यक्ति या व्यापारी से संपत्ति को ऐठना धारा 385 के अंतर्गत एक दंडनीय अपराध है। कल के लेख में हमने आपको बताया था, आज की धारा भी भी कल की धारा के समान्तर है, किसी व्यक्ति को मृत्यु का भय डालकर जबर्दस्ती वसूली करना कितना गम्भीर अपराध है जानिए।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 386 की परिभाषा:-
कोई भी व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को या उसके अधीन किसी व्यक्ति को मृत्यु का भय या गम्भीर चोट का भय डालकर या धमकी देकर संपत्ति की जबर्दस्ती वसूली करता है, ऐसा करनें वाला व्यक्ति धारा 386 के अंतर्गत अपराध होगा।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 386 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:
इस धारा के अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं है, यह संज्ञेय एवं अजमानतीय अपराध है। इनकी सुनवाई का अधिकार प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट को हैं। सजा- इस अपराध में दस वर्ष की कारावास और जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है।
उधरणानुसार- मोहन नामक व्यक्ति किसी रामू नामक व्यक्ति को यह कहता है कि अगर तुमने जमीन के दस्तावेज मेरे नाम ट्रासंफर नहीं किए तो मैं आपके बच्चे को स्कूल से आते समय गाड़ी से दुर्घटना करवा दूँगा। यह पर मोहन धारा 386 का अपराधी होगा क्योंकि मोहन ने रामू को भय उत्पन्न करवाया है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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