भोपाल। मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में स्टाफ नर्स सुष्मिता गौतम की मौत के मामले में संदिग्ध मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ प्रदीप धाकड़ कलेक्टर से छुट्टी लेकर चले गए। मामले में संदिग्ध होने के कारण पुलिस इन्वेस्टिगेशन में उनकी जरूरत है परंतु पुलिस को उनकी छुट्टी की कोई सूचना नहीं दी गई है। बताने की इस मामले में डॉ प्रदीप धाकड़ की गिरफ्तारी भी हो सकती है। सूत्रों का कहना है कि पुलिस कार्रवाई को प्रभावित करने के लिए डॉ प्रदीप धाकड़ ने छुट्टी ली है और वह बैतूल में नहीं है।
मामला क्या है
दिनांक 11 अक्टूबर 2020 रविवार को देर रात नेशनल हाईवे 69 भोपाल-बैतूल पर सीएमएचओ डॉ. प्रदीप धाकड़ की गाड़ी अनियंत्रित होकर एक पुलिया के नीचे नाले में जा गिरी फ्री। इस हादसे में डॉ प्रदीप धाकड़ और कार में उनके साथ बैठी स्टाफ नर्स सुष्मिता गौतम गंभीर रूप से घायल हो गई थीं। राहगीरों की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और दोनों को घायल अवस्था मे जिला अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती किया। इलाज के दौरान स्टाफ नर्स की मौत हो गई। बताया गया कि दोनों शाहपुर से बैतूल की तरफ आ रहे थे। इस घटना के साथ ही यह भी चर्चा शुरू हो गई थी कि दोनों के बीच शासकीय कामकाज के अलावा भी कुछ होता है।
पुलिस की जांच पर सवाल
लोकल मीडिया के अनुसार स्टाफ नर्स की मौत के मामले में पुलिस की जांच धीमी गति से चल रही है। इसकाे लेकर सवाल उठ रहे हैं क्योंकि बुधवार तक मामले में FIR तक दर्ज नहीं की गई थी। पुलिस ने दोनों की CDR निकलवाई तो काफी कुछ ऐसा पता चला जो मामले को स्पष्ट कर रहा है। पुलिस ने प्रेस को बताया कि इस मामले में वह डॉक्टर प्रदीप धाकड़ की पत्नी का बयान दर्ज करेंगे। पुलिस का शिकंजा कसते ही डॉ प्रदीप धाकड़ छुट्टी पर चले गए।
सुष्मिता को लेने सरकारी जीप आई थी, CMHO की कार में कैसे पहुंच गई
पुलिस के अनुसार उन्होंने दुर्घटनाग्रस्त कार का परीक्षण कराया, जिससे चालक (डाॅ. प्रदीप धाकड़) की लापरवाही से दुर्घटना हाेना सामने आया है। सुष्मिता की मौत पर परिजनों ने कहा था कि बेटी ताे घर से सरकारी बोलेरो से गई थी, लेकिन वह कैसे CMHO की कार में पहुंच गई इसकी जांच हाेना चाहिए।
डॉ प्रदीप धाकड़, नर्स के फ्लैट में आते-जाते रहते थे: कॉलोनी में चर्चा
कॉलोनी में आम चर्चा है कि जिस फ्लाइट में स्टाफ नर्स सुष्मिता गौतम किराए पर रहती थी वहां पर सीएमएचओ डॉ प्रदीप धाकड़ अक्सर आते जाते रहते थे। अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि दोनों के बीच प्रेम संबंध आया डॉक्टर प्रदीप धाकड़ अपने पद का दुरुपयोग करते हुए स्टाफ नर्स सुष्मिता गौतम का शोषण कर रहे थे। पुलिस का कहना है कि वह पड़ोसियों से बातचीत करके इस बारे में जानकारी एकत्रित करेगी।
तकनीकी जांच में दोष प्रमाणित फिर भी FIR दर्ज नहीं की
मामले में पुलिस ने बुधवार को क्षतिग्रस्त कार का परीक्षण करवाया। परीक्षण में यह बात सामने आई कि कार में साइड से कोई टक्कर नहीं हुई है। कार की छत और बाई तरफ से क्षतिग्रस्त नहीं होने से पुलिस ने पाया कि ड्राइवर की लापरवाही से दुर्घटना हुई है। चूंकि कार सीएमएचओ चला रहे थे। इसीलिए उनके खिलाफ FIR की जाएगी। हालांकि बुधवार शाम तक पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की गई।
सुश्री सिमाला प्रसाद, एसपी, बैतूल का बयान
हम लैपटाप और मोबाइल से सबूत एकत्र कर रहे हैं। मोबाइल व लैपटाप से भी सबूत एकत्रित किए जा रहे हैं। स्टाफ नर्स और सीएमएचओ के बीच संबंधों को लेकर एक टीम स्टाफ नर्स के परिजनों के बयान लेने भेजी जाएगी। सीएमएचओ की पत्नी के बयान अभी नहीं हो सके हैं। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि एक्सीडेंट के मामले में कार चालक डॉक्टर प्रदीप धाकड़ के खिलाफ सबसे पहली FIR अब तक क्यों दर्ज नहीं की गई।
कलेक्टर ने संदिग्ध CMHO को छुट्टी दे दी, एसपी को बताया तक नहीं
कॉल डिटेल एवं दिनचर्या में खुलासा होने के बाद संभावित पुलिस कार्रवाई से बचने के लिए डॉ प्रदीप धाकड़ ने कलेक्टर से छुट्टी मांगी और उन्होंने छुट्टी मंजूर करके जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ आरके धुर्वे को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी पद का प्रभार दे दिया। इस प्रक्रिया से स्पष्ट है कि डॉ प्रदीप धाकड़ 7 दिन में वापस नहीं आने वाले। जिले में कानून और व्यवस्था की स्थिति के लिए कलेक्टर जिम्मेदार होते हैं। उन्हें मालूम है कि डॉ प्रदीप धाकड़ की उपस्थिति पुलिस इन्वेस्टिगेशन के लिए अनिवार्य है, फिर भी कलेक्टर कार्यालय की ओर से पुलिस को इस बारे में कोई सूचना नहीं दी गई है।
सरकारी जीप, प्राइवेट कार, स्टाफ नर्स लेकिन विभागीय जांच नहीं
डॉ प्रदीप धाकड़ के खिलाफ कोई डिपार्टमेंटल इंक्वायरी भी नहीं शुरू की गई है, जबकि इस मामले में स्टाफ नर्स यानी एक शासकीय कर्मचारी की मौत हुई है। प्राथमिक जानकारी के अनुसार स्टाफ नर्स को लेने के लिए सरकारी जीप गई थी, स्वाभाविक है शासकीय काम के लिए बुलाया गया होगा लेकिन जब एक्सीडेंट हुआ तब सीएमएचओ की निजी कार में थी। जो व्यक्ति संदिग्ध है वह शासकीय अधिकारी है। सब कुछ शासकीय होने के बावजूद अभी तक विभागीय जांच की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है।