भोपाल। मप्र नगरपालिका काॅलाेनी रजिस्ट्रीकरण, निर्बंधन व शर्त नियम 1998 की धारा 15-ए के तहत मध्यप्रदेश की अवैध कॉलोनियों को वैध किया जाता था परंतु हाई कोर्ट में दाखिल एक याचिका के दौरान स्पष्ट हुआ कि धारा 15-ए तो 30 जून 1998 को ही एक्सपायर हो गई है। शिवराज सिंह सरकार इस तारीख के बाद 6800 अवैध कालोनियों को वैध करने की प्रक्रिया पर काम कर रही थी। अब इस धारा को विलोपित कर दिया गया और इस धारा के तहत कोई भी अवैध कॉलोनी नियमित नहीं की जाएगी।
मप्र नगरपालिका काॅलाेनी रजिस्ट्रीकरण, निर्बंधन व शर्त नियम 1998 की धारा 15-ए खत्म
नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह के मुताबिक 3 जून 2019 काे हाईकाेर्ट ने इस धारा (मप्र नगरपालिका काॅलाेनी रजिस्ट्रीकरण, निर्बंधन व शर्त नियम 1998 की धारा 15-ए) पर आपत्ति जताते हुए अवैध काॅलाेनियाें के नियमितीकरण पर राेक लगा दी थी। इसके बाद नगरीय प्रशासन ने एडवाेकेट जनरल से राय ली और प्रावधान को विलोपित करने का फैसला लिया।
मध्य प्रदेश में अवैध कालोनियों को नियमित करने का अब कोई रास्ता नहीं
नगरीय प्रशासन के सूत्राें ने बताया कि धारा 15-ए के विलाेपित हाेने बाद अब अवैध काॅलाेनियाें के नियमितीकरण का काेई प्रावधान अधिनियम में नहीं बचा है। काेर्ट ने सरकार की मंशा पर काेई विपरीत टिप्पणी नहीं की थी। उसने तकनीकी रूप से कहा था कि क्याेंकि ये प्रावधान अधिनियम में नहीं है, इसलिए नियम में भी नहीं हाे सकता।
सीएम शिवराज सिंह द्वारा घोषित 6800 अवैध कालोनियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया रुकी
नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने मप्र नगरपालिका काॅलाेनी रजिस्ट्रीकरण, निर्बंधन व शर्त नियम 1998 की धारा 15-ए काे खत्म किया है। इसमें 30 जून 1998 तक की अवैध काॅलाेनियाें काे वैध करने का प्रावधान था। बाद में इसी धारा के तहत 30 जून 2002, 30 जून 2007, 21 दिसंबर 2012 और 31 दिसंबर 2016 तक की अवैध कॉलोनियों का नियमितीकरण हुआ। सरकार ने 6800 से ज्यादा अवैध काॅलाेनियाें काे वैध करने का फैसला लिया। 1800 काॅलाेनियाें से विकास शुल्क लेकर नियमितीकरण की कार्रवाई भी शुरू हुई। काेर्ट के फैसले के बाद इस पर राेक लग गई।