CORONA के कारण कर्मचारियों पर TAX का बोझ बढ़ेगा

Bhopal Samachar
कोरोनावायरस महामारी के कारण ऐसे सभी कर्मचारियों पर आयकर का बोझ बढ़ जाएगा जो वर्क फ्रॉम होम ऑप्शन में काम कर रहे हैं। कन्वेंस, हाउस रेंट अलाउंस और लीव ट्रैवल एलाउंस कुछ ऐसे भरते हैं जो पूरी तरह से टैक्स फ्री हैं परंतु महामारी के कारण इन सभी पर टैक्स लग सकता है।

फ्यूल या कन्वेअंस अलाउंस (परिवहन भत्ता) यहां तक कि HRA (हाउस रेंट अलाउंस/ मकान किराया भत्ता) ऐसे अलाउंस हैं, जिनका भुगतान वास्तविक खर्च के आधार पर होता है लेकिन यदि कोई कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम ऑप्शन में हैं तो फ्यूल या कन्वेंस के अलाउंस पर टेक्स्ट लग जाएगा। यदि कर्मचारी अपने पेरेंट्स के पास रहने चला गया तो उसकी सैलरी में उसे जो हाउस रेंट अलाउंस मिलेगा उस पर भी इनकम टैक्स देना पड़ेगा। इसी तरह से जब काम के सिलसिले में कहीं आना-जाना नहीं होगा, तो कन्वेअंस अलाउंस भी कर के दायरे में आ जाएगा।  

महामारी के कारण प्रभावित होने वाले भत्तों में एक अन्य लोकप्रिय भत्ता एलटीए (लीव ट्रैवल अलाउंस) भी शामिल है, जो कि कर मुक्त हुआ करता है। लेकिन एलटीए से जुड़े कानून बहुत कड़े हैं। चार साल के ब्लॉक (अवधि) में एलटीए पर दो बार दावा किया जा सकता है। मौजूदा अवधि 2018 से 2021 के बीच की है। चूंकि महामारी के कारण यात्राएं प्रतिबंधित हैं, आपके पास इस पर दावा करने के बहुत सीमित विकल्प उपलब्ध हैं। 

हालांकि नियमों के मुताबिक, एलटीए को अगले ब्लॉक तक आगे बढ़ाया जा सकता है, लेकिन फिर इसका इस्तेमाल अगले ब्लॉक के प्रथम वर्ष में करना होगा। इसका मतलब है कि वेतनभोगी कर्मचारियों के पास एलटीए से जुड़ा लाभ लेने के लिए सीमित विकल्प उपलब्ध है। 

इसके अलावा, मुफ्त या रियायती दरों वाला भोजन, चाय और अन्य पेय, स्नैक्स, ऑफिस जिम, खेल संबंधी सुविधाएं या फिर कार परिवहन सेवा, क्रैच सुविधा और क्लब की सदस्यता जैसी सुविधाओं का महामारी तथा वर्क फ्रॉम होम के कारण कर्मचारी लाभ नहीं उठा सकते। अलाउंस का भुगतान वास्तविक खर्च के आधार पर ही किया जाता है, लेकिन इन सुविधाओं का लाभ लेना अभी संभव नहीं है और यदि नियोक्ता इसका भुगतान कर भी रहा हो, तो कर्मचारियों को ऐसे भुगतान के लिए टैक्स देना होगा।

कर बचत की संभावनाएं डब्ल्यूएफएच के कारण जहां यात्रा संबंधी खर्च कम हुआ है, वहीं बिजली, इंटरनेट, फर्नीचर और यहां तक कि रेफ्रेशमेंट (नाश्ते) का खर्च बढ़ गया है। कर्मचारी अपने नियोक्ताओं से और एचआर विभाग से इन खर्चों के मद्देनजर अपने सैलरी स्ट्रक्चर में बदलाव के लिए बात कर सकते हैं। कंपनियां अपने कर्मचारियों को चल संपत्तियां खरीदने की मंजूरी दे सकती हैं, जिसे विशेष भत्ता माना जा सकता है। ऐसी व्यवस्था में कर्मचारी को फर्नीचर और लैपटॉप जैसे सामान कंपनी के नाम पर खरीदने होते हैं, जिसकी बाद में प्रतिपूर्ति की जाती है। चूंकि ये सामान कंपनी के नाम पर खरीदे जाते हैं, इसलिए ऐसी संपत्ति के मूल्यह्रास का दावा किया जा सकता है।

चूंकि ऐसे सामानों की मूल्यह्रास के कारण पांच साल में कोई कीमत नहीं रह जाती, कंपनी इन्हें कर्मचारियों को बेहद रियायती दरों में बेच देती हैं। कंपनी छोड़ने पर आप इस लाभ से वंचित हो जाते हैं। इसके अलावा, ओटीटी प्लेटफॉर्म या फिर कर्मचारी की पसंद के किसी ऑनलाइन कोर्स के भुगतान के जरिये कंपनी इंटरटेनमेंट अलाउंस की भरपाई कर सकती है। इस नई व्यवस्था में ऐसे अलाउंस के लिए रास्ता निकालने के लिए अनेक प्रस्ताव सीबीडीटी (केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड) के पास हैं।

स्मृति तथा उन जैसे अन्य कर्मचारियों के लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि विभिन्न कंपनियों में इस बात की स्पर्द्धा होती है कि वे अधिक से अधिक कर्मचारी हितैषी दिखें। ऐसे परिदृश्य में जब डब्ल्यूएफएच बहुत आम हो चुका है, कंपनियां कर्मचारियों को दिए जाने वाले भत्तों की जगह नए भत्ते पर विचार कर सकती हैं।

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