जब भी कोई व्यक्ति अपराध करने के बाद खुद को छुपा लेता है और इन्वेस्टिगेशन में सहयोग नहीं देता तो अक्सर मीडिया में कहा जाता है कि वह व्यक्ति फरार हो गया परंतु सरकारी दस्तावेजों के अनुसार वह फरार नहीं होता। एक व्यक्ति तकरार होता है जब वह अपने आपको इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (पुलिस इत्यादि) से लंबे समय तक छुपाए रखने में सफल हो जाए और न्यायालय के सामने जाकर इन्वेस्टिगेशन एजेंसी यह स्वीकार कर लेगी वह आरोपी को ढूंढ पाने में असफल साबित हुई है।
जानिए फरार होना क्या है:-
फरार होने से सामान्य अर्थ अपने आपको छिपाना होता है। इसके अंतर्गत यह आवश्यक नहीं है कि वह व्यक्ति जहाँ हो उस स्थान को छोड़ दे। वह उसी स्थान पर रह सकता है एवं अपने को छिपा सकता है। फरार शब्द का अर्थ केवल एक या दो दिन अनुपस्थित से नहीं निकलता है, इसका अर्थ होता हैं लगातार कुछ दिनों तक अनुपस्थित रहना।
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 83 की परिभाषा:-
कोई भी आरोपी न्यायालय द्वारा भेजे गए वारण्ट को नहीं मानता है एवं समन प्राप्त होने के बाद भी उपस्थित नहीं होता, तब न्यायालय को CRPC धारा 82 के अनुसार अधिकार प्राप्त है कि वह ऐसे आरोपी के लिए फरारी की उद्द्घोषणा (सरकारी या सार्वजनिक घोषणा) जारी करेगा। कि उचित समय और उचित स्थान पर आकर न्यायालय को बयान दे। सार्वजनिक घोषणा निम्न स्थान पर की जाएगी:-
1. ग्राम पंचायत में सार्वजनिक स्थान पर जहाँ ग्राम के व्यक्तियों को जानकारी हो।
2. आरोपी के निवास स्थान के पास होना चाहिए।
अगर फरार व्यक्ति न्यायालय की उद्द्घोषणा की शर्तों को नही मानता है, तब न्यायालय स्वतंत्र हो जाता है अगली कार्यवाही के लिए।
क्या फरार व्यक्ति अग्रिम जमानत का हकदार होता है?:-
जी नहीं! फरार व्यक्ति अग्रिम जमानत का हकदार नहीं होता है जानिए।
स्टेट ऑफ मध्यप्रदेश बनाम प्रदीप शर्मा वाद:-* इस मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा यह अभिनिधरित किया गया है कि फरार व्यक्ति किसी भी प्रकार से अग्रिम जमानत का हकदार नहीं होता है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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