मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह ने अथ श्री कमलनाथ "क्या आइटम है" कांड के बीच श्रीमद भगवत गीता के अध्याय 18 का 41वां श्लोक सोशल मीडिया पर वायरल किया है। साथ ही लिखा है कि 'कृपया गीता के १८वें अध्याय का अवलोकन करें।' तो फिर आइए श्री कमलनाथ के वर्तमान विवादित प्रसंग के संदर्भ में श्री दिग्विजय सिंह द्वारा वायरल किए गए श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोक की व्याख्या करते हैं।
श्री दिग्विजय सिंह ने जो श्लोक अवलोकन के लिए प्रस्तुत किया है वह इस प्रकार है:-
ब्राह्मणक्षत्रियविशां शूद्राणां च परंतप।
कर्माणि प्रविभक्तानि स्वभावप्रभवैर्गुणैः।।18.41।
यह तो सभी जानते हैं कि श्रीमद्भगवद्गीता का एक-एक शब्द हजारों हजार अर्थ लिए होता है। त्रेता युग से लेकर कलयुग की समाप्ति तक मनुष्य के जीवन के प्रत्येक रहस्य का उत्तर भगवान श्री कृष्ण ने श्रीमद भगवत गीता के माध्यम से दिया है। अपन इस श्लोक की ना तो धार्मिक व्याख्या करेंगे और ना ही जातिवाद के आधार पर। अपन इसे सिर्फ वर्तमान विवादित प्रसंग पर केंद्रित रखेंगे।
वर्तमान राजनीतिक विवाद क्या है
मध्य प्रदेश का वर्तमान राजनीतिक विवाद है कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष एवं विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष जैसे पदों पर विराजमान कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता श्री कमलनाथ द्वारा एक महिला प्रत्याशी को "क्या आइटम है" कहना। श्री कमलनाथ के अलावा देशभर में किसी भी व्यक्ति ने "क्या आइटम है" को सामान्य नहीं माना बल्कि सभी प्रकार के राजनीतिक एवं गैर राजनीतिक लोगों ने इसे आपत्तिजनक एवं अमर्यादित माना है। यह तब और भी अधिक अमर्यादित माना गया जबकि 40 वर्ष के संसदीय अनुभव वाले श्री कमलनाथ द्वारा कहा गया और फिर उसे उचित साबित करने की चेष्टा की गई।
श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय 18 श्लोक 41 का हिंदी भावार्थ
श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय 18 श्लोक 41 के अनुसार "मनुष्य जो कुछ भी कर्म करता है? उसके अन्तःकरण में उस कर्म के संस्कार पड़ते हैं और उन संस्कारों के अनुसार उसका स्वभाव बनता है। इस प्रकार पहले के अनेक जन्मों में किये हुए कर्मों के संस्कारों के अनुसार मनुष्य का जैसा स्वभाव होता है? उसीके अनुसार उसमें सत्त्व? रज और तम -- तीनों गुणोंकी वृत्तियाँ उत्पन्न होती है।
कमलनाथ विवाद के संदर्भ में क्या समझा जाए
तात्पर्य यह कि कमलनाथ द्वारा एक महिला को "क्या आइटम है" कहा जाना और फिर अपने वाक्य को उचित प्रमाणित करने का प्रयास करना कोई नई घटना नहीं है बल्कि उनके अंतःकरण में कर्मों की जो संस्कार पड़े हैं उन संस्कारों के अनुसार उनका स्वभाव बन गया है।
अस्वीकरण:- (संभव है श्री दिग्विजय सिंह का तात्पर्य इससे पृथक हो परंतु क्योंकि उन्होंने अवलोकन करने के लिए स्वतंत्र कर दिया है, इसलिए इस श्लोक के 1,000 से अधिक भावार्थ निकाले जा सकते हैं।)
कृपया गीता के १८वें अध्याय का अवलोकन करें। pic.twitter.com/C0Ic6EvbzD
— digvijaya singh (@digvijaya_28) October 21, 2020