भोपाल। मप्र के मुख्यमंत्री माननीय श्री शिवराज सिंह जी चौहान ने सातवें वेतनमान के एरियर की अंतिम किश्त को 25% दीपावली पूर्व देने की घोषणा से कर्मचारियों में सधी हुई प्रतिक्रिया रही है। मप्र तृतीय वर्ग शास कर्म संघ के वरिष्ठ कर्मचारी नेताद्वय प्रमोद तिवारी व कन्हैयालाल लक्षकार ने संयुक्त प्रेस नोट में कहा कि जो दिया गया उसके लिए धन्यवाद, लेकिन कर्मचारी इतिहास में पहला अवसर है कि किश्त की भी किश्त की गई है।
कर्मचारियों को छठें/ सातवें वेतनमान के आधार पर देय एरियर की अंतिम किश्त जो अप्रैल-मई में भुगतान होना थी उसे रोका गया। डीए पांच फीसदी जुलाई 2019 से देय मार्च 2020 में जारी आदेशानुसार भुगतान होना था इसे स्थगित कर दिया है। जुलाई 2020 से देय नियमित वार्षिक वेतनवृध्दि तीन फीसदी भी रोक कर काल्पनिक देने के आदेश दिये गये। इनसे प्रत्येक कर्मचारी को एक से डेढ़ लाख के आर्थिक परेशानियों से दो चार होना पड़ रहा है। ऐसे में उक्त निर्णय ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। माननीयों का आयकर शासन के खजाने से भरा जाना।
माननीयों व भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के प्रति दरियादिल व कर्मचारियों के लिए प्रदेश की माली हालत खराब, हजम नहीं होता। यह भेदभाव पूर्ण दोहरा रवैया है। कोरोना बहाना, कर्मचारी निशाना है। मप्र तृतीय वर्ग शास कर्म संघ मांग करता है कि कर्मचारियों के रोके गये स्वत्वों के रूप में बकाया करोड़ों रूपये के भुगतान को शासन अपने ऋण खातें में शामिल कर अन्य स्त्रोतों से प्राप्त ऋण के समान ब्याज भुगतान प्रारंभ किया जाना न्यायसंगत होगा। केंद्रीय कर्मचारियों एवं भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को सातवें वेतनमान के आधार पर देय एरियर की राशि दो किश्तों में 2018 तक भुगतान किया जा चुका है।
डीए भी सत्रह फीसदी जुलाई 2019 से दे दिया गया। इसके विपरीत प्रदेश में तीन किश्तों में भुगतान होना थी लेकिन अंतिम किश्त रोककर उसका पच्चीस फीसदी भुगतान का निर्णय गले नहीं उतरता है। छठे वेतनमान के आधार पर देय एरियर की अंतिम किश्त जो अप्रैल 2020 में मिलने वाली थी उसका भी उल्लेख माननीय मुख्यमंत्री जी के कथन में नहीं होने से इस वर्ग में भी घोर निराशा व आक्रोश व्याप्त हैं।
डीए भी बारह फीसदी जनवरी 2019 से दिया जा रहा है। राजनीतिक दृष्टिकोण से "पंगु भुगतान" ज्यादा कारगर नहीं लगता है। माननीय मुख्यमंत्री जी से निवेदन है कि रोके गये स्वत्वों के भुगतान पर स्पष्ट आदेश जारी करवाये जावे, जिसमें सभी भुगतान की समय-सीमा तय की जावे।