मच्छर इंसान के जीवन में आने वाला है शायद एकमात्र ऐसा जीव है जो उसके जन्म से लेकर मृत्यु पर्यंत उसके आसपास बना रहता है। सभी जानते हैं कि मच्छर गंदगी से पैदा होते हैं। प्रश्न यह है कि पृथ्वी पर मच्छरों का अस्तित्व कब से है। क्या भगवान श्री राम के वनवास के समय भी मच्छर हुआ करते थे।
क्या रामायण काल में भी मच्छर थे
त्रेता युग में महर्षि वाल्मीकि ने संस्कृत भाषा के प्रथम महाकाव्य रामायण में इसका उल्लेख किया है। पाचवें कांड (सुंदरकांड) के भाग 1 ("माता सीता की खोज मे हनुमान का लंका प्रस्थान" मे मसक (मच्छर) का जिक्र किया गया है। महर्षि वाल्मीकि ने लिखा है कि :-
"मसक समान रूप कपि धरी। लंकहि चलेउ सुमिरि नरहरी॥
नाम लंकिनी एक निसिचरी। सो कह चलेसि मोहि निंदरी॥1॥
भावार्थ— हनुमान जी मच्छर के समान (छोटा सा) रूप धारण कर नर रूप से लीला करने वाले भगवान् श्री रामचंद्रजी का स्मरण करके लंका को चले (लंका के द्वार पर) लंकिनी नाम की एक राक्षसी रहती थी। वह बोली- मेरा निरादर करके (बिना मुझसे पूछे) कहाँ चला जा रहा है?॥1॥"
पृथ्वी पर मच्छरों का अस्तित्व कब से है
जैसा कि हम ऊपर पढ़ चुके हैं कि त्रेता युग में महर्षि वाल्मीकि ने संस्कृत के महाकाव्य रामायण में मच्छर का उल्लेख किया है। इसका तात्पर्य हुआ कि त्रेता युग में मच्छरों का अस्तित्व था। उसके बाद श्री कृष्ण अवतार का द्वापर युग आया और अब कलयुग चल रहा है। हिंदू धर्म शास्त्रों में की गई गणना के अनुसार त्रेता युग में 1296000 सौर वर्ष थे और द्वापर युग में 864000 सौर वर्ष थे। यदि कलयुग के वर्ष को शामिल न किया जाए तब भी करीब-करीब 21 लाख 4 वर्षों से मच्छर महोदय पृथ्वी पर भिनभिना रहे हैं। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article (current affairs in hindi, gk question in hindi, current affairs 2019 in hindi, current affairs 2018 in hindi, today current affairs in hindi, general knowledge in hindi, gk ke question, gktoday in hindi, gk question answer in hindi,)