विज्ञान बड़ा कंफ्यूज करता है। विज्ञान कहता है कि आग तभी उत्पन्न हो सकती है जब हवा में ऑक्सीजन उपस्थित हो। वही विज्ञान बताता है कि अंतरिक्ष में ऑक्सीजन नहीं होती। और उसी विज्ञान के टीचर ने बचपन से पढ़ा है कि सूर्य दुनिया का सबसे बड़ा आग का गोला है। सवाल यह है कि जब अंतरिक्ष में ऑक्सीजन ही नहीं होता तो फिर सूर्य में आग कैसे लग जाती है। वह क्यों जलती रहती है और ऑक्सीजन के बिना बुझ क्यों नहीं जाती। आइए अपन खुद पता लगाते हैं:-
विज्ञान की कुछ अन्य किताबें बताती है कि जैसा सूर्य हमें दिखाई दे रहा है लगभग 4.6 अरब सालों से ऐसा ही है लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि सूर्य के चारों तरफ जो आपको दिखाई दे रहा है वह आग की लपटें नहीं है। सूर्य जलता नहीं है। सूर्य में आग नहीं लगती। सूर्य आग का गोला नहीं है। हमको पृथ्वी से जो दिखाई देता है दरअसल वह सूर्य पर मौजूद गैसों की एक खास प्रक्रिया है। पृथ्वी के वैज्ञानिकों ने इस प्रक्रिया को "स्टेलर न्यूक्लियोसेन्थेसिस" नाम दिया है।
एक और महत्वपूर्ण और मजेदार बात यह है कि सूर्य के अंदर परमाणुओ का न्यूक्लिर फ्यूज़न होता है जिसमे सूरज के ग्रेविटी के कारण हैड्रोजेन के परमाणु हीलियम के परमाणुओ में बदल जाते है जिस प्रक्रिया के दौरान ऊर्जा उत्पन्न होता है। यह वही प्रकाश है जिसे हम यहाँ पृथ्वी से देखते है। इस प्रोसेस को हम "हैड्रोजेन बर्निंग" (Nuclear fusion (नाभिकीय संलयन)) भी कहते है। क्योंकि इस प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की अग्नि का प्रज्वलन नहीं होता इसलिए ऑक्सीजन की जरूरत भी नहीं होती। यह जवाब हमारे शास्त्रों में भी लिखा हुआ है। श्री वाल्मीकि रामायण में बताया गया है कि अग्नि, सूर्य का एक स्वरूप है। इसका स्पष्ट तात्पर्य है कि पृथ्वी पर मौजूद अग्नि, सूर्य का अंश नहीं है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article (current affairs in hindi, gk question in hindi, current affairs 2019 in hindi, current affairs 2018 in hindi, today current affairs in hindi, general knowledge in hindi, gk ke question, gktoday in hindi, gk question answer in hindi,)