सिंघाड़ा को यह भी कहते हैं
उपवास में खाया जाने वाला एक और मुख्य पदार्थ है सिंघाड़ा जिसे इंग्लिश में Water chestnut, Water caltrop आदि नामों से जाना जाता है। संस्कृत में इसे श्रंगाटक कहा जाता है। अगर आप सिंघाड़े को ध्यान से देखेंगे तो आपको इसका आकार छाती या ( chest) चेस्ट के जैसा दिखाई देगा तथा इसका बाहरी आवरण बहुत कड़क होता है ,इस कारण नट ( nut) तथा यह पानी में उगता है इस कारण इसका नाम पड़ा water chestnutआइए वैज्ञानिक दृष्टि से जानते हैं सिंघाड़ा क्या है
सिंघाड़े का वैज्ञानिक नाम Trapa bispinosa / natans है। यह पानी में पसरने वाली एक लता (creeper) है जो भारत के प्रत्येक प्रांत के तालाबों और जलाशयों में रोपकर लगाई जाती है। मध्य प्रदेश के तालाबों में सिंघाड़े की खेती की जाती है।
सिंघाड़े को कैसे खाया जाता है, क्या-क्या पकवान बनाए जा सकते हैं
सिंघाड़े का खाया जाने वाला भाग फल है, जो तिकोने आकार का होता है तथा जिस पर दोनों सिरों पर कांटे पाए जाते हैं। इसे कच्चे हरे या उबालकर दोनों रूपों में खाया जाता है। सिंघाड़े के फलों को सुखाकर, पीसकर आटा तैयार किया जाता है। इस आटे से विभिन्न प्रकार के व्यंजन जैसे - हलवा, पूरी ,पराठा ,पकोड़े आदि बनाए जाते हैं। सिंघाड़े में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिंस, मिनरल्स आदि पाए जाते है। यह एक एंटी ऑक्सीडेंट (Antioxident) की तरह कार्य करता है।
सिंघाड़ा खाने से क्या कोई बीमारी भी ठीक होती है
सिंघाड़े का आयुर्वेदिक महत्व भी बहुत अधिक है। ये विभिन्न प्रकार की बीमारियों जैसे- थायराइड, खांसी आदि में भी लाभकारी है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article (current affairs in hindi, gk question in hindi, current affairs 2019 in hindi, current affairs 2018 in hindi, today current affairs in hindi, general knowledge in hindi, gk ke question, gktoday in hindi, gk question answer in hindi,)