शकरकंद फल नहीं है तो फिर फलाहार में क्यों खाया जाता है - GK IN HINDI

Bhopal Samachar
शकरकंद को तो आप पहचानते ही होंगे। बच्चे इसे स्वीट पोटैटो के नाम से जानते हैं। लोक संस्कृति से जुड़े मेलों में कई सारे फ्लेवर्स में मिल जाते हैं। इनको देखते ही कोई भी बता सकता है कि यह ना तो किसी पौधे का फल है और ना ही उसका तना। बल्कि शकरकंद तो मूल रूप से जड़ होती है। सवाल यह है कि जब शकरकंद फल नहीं है तो फिर इसे उपवास में फलाहार के साथ क्यों खाया जाता है।

सरल शब्दों में बात सिर्फ इतनी सी है कि उपवास में अनाज (गेहूं, चना एवं चावल आदि) का त्याग किया जाता है और ऐसे फल एवं उत्पादों का सेवन किया जाता है जो मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं और शरीर में मौजूद रासायनिक तत्वों की कमी को पूरा करते हैं। शकरकंद में भारी मात्रा में कार्बोहाइड्रेट होता है। विटामिन-ए और विटामिन-सी भी होता है और आलू से ज्यादा स्टार्च होता है। कुल मिलाकर एक दवाई है जो स्वादिष्ट भी है। इसीलिए इसे उपवास में फलों के साथ या फिर फलों के स्थान पर विकल्प के रूप में सेवन किया जाता है।

शकरकंद क्या है, साइंस की भाषा में समझते हैं

शकरकंद का खाया जाने वाला भाग एक रूपांतरित जड़ (modified root) है। यह एक प्रकार की अपस्थानिक जड़ (Adventitious root) होती है, जो भोजन ग्रहण करने के लिए रूपांतरित हो जाती है। यह एक कंदील जड़( tuberous root) है जिसकी कोई निश्चित आकृति नहीं होती अर्थात टेढ़ी-मेढ़ी, मोटी पतली, अनियमित आकार की होती है। इसी प्रकार गाजर, मूली, शलजम, चुकंदर, आम हल्दी भी जड़ों के रूपांतरण है परंतु उनकी चर्चा हम फिर कभी करेंगे।

शकरकंद को इंग्लिश में स्वीट पोटैटो ( Sweetpotato) कहा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम आईपॉमिया बटाटास (Ipomea batatas) है जो Convoualaceae फैमिली (The morning glory family) के अंतर्गत आता है। यह एकवर्षीय पौधा है परंतु अनुकूल परिस्थितियां मिलने पर बहुवर्षीय भी हो सकता है।

शकरकंद की जड़ों की उत्पत्ति इसके तने से निकलने वाली पर्वसंधियों (Nodes) से होती है, जो जमीन में प्रवेश करने पर मिट्टी से पोषण प्राप्त करके फूल जाती हैं।

शकरकंद से कौन-कौन से व्यंजन बनाए जा सकते हैं

शकरकंद लाल, भूरे तथा पीले रंगों में पाया जाता है। इसमे बहुत अधिक मात्रा में carbohydrate, विटामिन-ए तथा सी पाया जाता है। इसमें आलू से भी अधिक मात्रा में स्टार्च पाया जाता है। इसे उपवास में उबालकर या  सेककर खाया जाता है। इसके अतिरिक्त शकरकंद से सब्जी, हलवा, चाट ,खीर आदि  भी बनाये जाता है।

1.सबसे पहले शकरकंद किस देश में पैदा हुआ ?

शकरकंद भारत की प्राचीन संस्कृति से जुड़ा हुआ है। यह स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक है। इसका उपवास में फल के स्थान पर सेवन किया जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं शकरकंद भारतीय नहीं है बल्कि अमेरिकी है। सबसे पहले अमेरिका में शकरकंद का पौधा मिला जो बाद में सारी दुनिया द्वारा पसंद किया गया।

शकरकंद कितने बीज पत्री होता है ? 

द्विबीजपत्री तथा भ्रूणपोषीय ( Dicotyledon and Endospermic ) 

आलू, मूली, भिंडी तथा शकरकंद में से एक फल है? 

भिंडी, क्योंकि इसके अंदर बीज पाए जाते हैं और विज्ञान की भाषा में जिसके भी अंदर बीज पाए जाते हैं, वह फल होता है। जबकि आलू रूपांतरित भूमिगत तना है। मूली और शकरकंद रूपांतरित जड़े हैं।

क्या शकरकंद पीले गुरुवार में खा सकते हैं?

भगवान विष्णु के लिए किए जाने वाले गुरुवार के व्रत में शकरकंद का सेवन किया जा सकता है। क्योंकि इसे फलाहार माना गया है लेकिन शकरकंद में या फिर शकरकंद से बनने वाले व्यंजनों को पीला करने के लिए हल्दी नहीं मिला नहीं चाहिए।

महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर शकरकंद क्यों चढ़ाए जाते हैं 

हिंदू संप्रदाय के शास्त्रों में शकरकंद को कंदमूल माना गया है। जिनका सेवन भगवान श्रीराम ने किया था। भारत में जब भी कोई फसल या फल इत्यादि पहली बार आता है तो उसे सबसे पहले भगवान के चरणों में समर्पित किया जाता है। शकरकंद महाशिवरात्रि के समय आता है। इसलिए उसे भगवान शिव को समर्पित कर दिया जाता है। इसके पीछे हिंदू संप्रदाय के लोगों की आस्था है, विज्ञान नहीं है।

शकरकंद के फायदे 

शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है। 
शरीर में सूजन कम हो जाती है। 
अस्थमा के मरीजों के लिए काफी लाभदायक है। 
गठिया के रोगियों के लिए सबसे अच्छी दवा शकरकंद है। 
मनुष्य की पाचन शक्ति को दुरुस्त करता है। 
मनुष्य के शरीर को कैंसर से लड़ने में मदद करता है। 
शकरकंद का नियमित सेवन करने से वजन बढ़ता है।
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