नई दिल्ली। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ग्वालियर बेंच द्वारा चुनावी सभाओं के संबंध में दिए गए फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा है कि वह कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए उचित कदम उठाए। चुनावी सभाओं में लगातार कोविड-19 प्रोटोकॉल का उल्लंघन होने पर हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने ग्वालियर-चंबल अंचल के सभी कलेक्टरों के चुनावी सभाओं को अनुमति देने के अधिकार समाप्त करते हुए कहा था कि पॉलिटिकल पार्टियां चुनावी सभाओं के लिए चुनाव आयोग से अनुमति प्राप्त करें।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने आदेश में क्या कहा था ?
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर पीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि ग्वालियर-चंबल अंचल के कलेक्टर/ एसपी राजनीतिक सभाओं में कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करवाने में अक्षम साबित हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में हाईकोर्ट ने सभी कलेक्टरों के राजनीतिक सभाओं की अनुमति देने के अधिकार निरस्त कर दिए थे और कहा था कि यदि चुनावी सभाएं जरूरी है तो इसकी अनुमति चुनाव आयोग द्वारा दी जाएगी। इसके अलावा सभा स्थल का सैनिटाइजेशन एवं सभा में आने वाली जनता को फेस मास्क उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी पार्टी एवं प्रत्याशी की होगी।
चुनाव आयोग और भाजपा प्रत्याशी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच द्वारा दिए गए फैसले पर आपत्ति जताते हुए चुनाव आयोग एवं ग्वालियर में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी प्रद्युम्न सिंह तोमर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। शीर्ष अदालत ने तोमर की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी से कहा कि वह भारत निर्वाचन आयोग को बताएं कि उच्च न्यायालय के आदेश के चलते चुनाव प्रचार का कितना वक्त बर्बाद हुआ। चुनाव आयोग ने उच्च न्यायालय के आदेश की पृष्ठभूमि में कहा कि संविधान के तहत चुनावों के आयोजन और प्रबंधन की देखरेख का जिम्मा उसका है और संविधान के अनुच्छेद 329 के तहत चुनावी प्रक्रिया के मध्य में न्यायिक दखल पर रोक है।
याचिका में कहा गया कि चुनाव आयोग ने अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए 25 सितंबर को चुनावी रैली या सभाओं के बारे में कोविड-19 संबंधी दिशा-निर्देश जारी किए थे। इसमें कहा गया कि उनके दिशा-निदेर्शों तथा राज्य सरकार की मानक संचालन प्रक्रियाओं के मुताबिक सुरक्षा उपायों के साथ राजनीतिक सभाओं में 100 से अधिक लोगों के एकत्रित होने की अनुमति दी जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग और राजनीतिक दलों को फटकारा, हाई कोर्ट को सही ठहराया
चुनाव आयोग ने कहा था कि 3 नवंबर को उपचुनाव होना है। इससे कुछ समय पहले हाईकोर्ट के आदेश ने चुनाव प्रक्रिया को लाचार बना दिया है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी रैलियों में कोरोना गाइडलाइंस लागू करवाने के लिए समय पर कदम नहीं उठाने को लेकर चुनाव आयोग की भी खिंचाई की। साथ ही राजनीतिक दलों को फटकार लगाते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने जो आदेश दिया, उसके लिए आखिरकार जिम्मेदार कौन है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने अपना काम अच्छे से किया। साथ ही चुनाव आयोग से कहा कि अपनी जिम्मेदारी संभालिए। काम का ऐसा तरीका अपनाइए जो सभी के लिए अच्छा हो। सुप्रीम कोर्ट 6 हफ्ते बाद फिर इस मामले की सुनवाई करेगा।
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