ग्वालियर। ग्वालियर एवं आसपास के अंचलों में कोविड-19 वायरस का शिकार हुए लोगों में हृदय एवं फेफड़ों में ब्लड क्लोटिंग और ठीक हो जाने के बाद हाई बीपी की समस्या सामने आ रही है। कोरोना से जंग जीत चुके लोग चेस्ट इन्फेक्शन की शिकायतें भी कर रहे हैं। कुल मिलाकर भले ही ग्वालियर में संक्रमित मरीजों की मृत्यु दर कम हो परंतु ठीक हो चुके लोग भी पूरी तरह से स्वस्थ नहीं है।
ग्वालियर के प्रतिष्ठित पत्रकार श्री अजय उपाध्याय की एक रिपोर्ट के अनुसार जयारोग्य अस्पताल के कार्डियक डिपार्टमेंट में 4 कोरोना संक्रमित मरीज पहुंचे, इन्हें हार्ट अटैक आया था। इन्वेस्टिगेशन के दौरान डॉक्टरों को पता चला कि खून गाढ़ा हो जाने के कारण आर्टिरीज में क्लॉटिंग हुई है। एक मरीज की एंजियोप्लास्टी की गई जबकि बाकी तीन को खून पतला करने वाली दवा दी गई। ग्वालियर में कोरोनावायरस के मरीजों के लंग्स में भी ब्लड क्लोटिंग के मामले सामने आए हैं। ऐसे मरीजों को खून पतला करने की दवा एस्पिरिन दी जा रही है। संक्रमित मरीजों में एरिथमिया की परेशानी भी नजर आ रही है।
संक्रमण के प्रभाव से गाढ़ा हो रहा खून
कोविड-19 वायरस मरीज के शरीर में पहुंचकर असर दिखाता है। जैसे- संक्रमण मरीज में पहले से अन्य बीमारियों के कीटाणुओं को सक्रिय करता है और खून गाढ़ा करने लगता है। इससे दिल व लंग्स में थक्के जमने लगता है। सीटी स्कैन की रिपोर्ट में लंग्स में जमे थक्के दिखाई देते हैं। गाढ़ा खून जब हृदय में जाता है तो वहां पर बारीक नसों में उसका प्रवाह धीमा हो जाता है। इससे वह अधिक जमने लगता है और हृदयघात की आशंका बढ़ जाती है।
कोरोनावायरस मरीजों में हृदय गति की गड़बड़ी की शिकायतें
कोरोना संक्रमित पाए गए कुछ मरीजों को एरिथमिया की शिकायत पाई जा रही है। हृदय गति अनियमित होने को एरिथमिया कहा जाता है। डॉ. रावत का कहना है कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद मरीज बीपी सामान्य से अधिक 100 से 125 के बीच पाया जा रहा है। वहीं कोरोना का इलाज ले रहे मरीजों का बीपी सामान्य से काफी कम 50 से 60 के बीच में पाया जा रहा है।
कोरोना मरीजों में एरिथमिया की शिकायत देखने में आ रही है। साथ ही उनका खून गाढ़ा हो रहा है, जिससे हृदयघात व लंग्स में संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे मरीजों को अब खून पतला करने की दवा भी देने लगे हैं।
डॉ राम रावत, एसोसिएट प्रोफेसर, कार्डियक विभाग,जीआरएमसी