ग्वालियर। बुजुर्ग दम्पत्ति गोपीचंद सोनी व श्रीमती शांति देवी नहा-धोकर दुर्गा अष्टमी पर कन्या भोज की तैयारी कर रहे थे, तभी दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी। गोपीचंद को लगा कि कन्यायें भोजन करने आ गई हैं। मगर दरवाजा खोला तो अलग ही दृश्य सामने था। कोई हाथ में स्टूल संभाले तो कोई मतदाता सूची लिए और तो कोई अन्य मतदान सामग्री ] लिए खड़ा था। गोपीचंद व शांति देवी तो समझ ही नहीं पाईं कि आखिर ये लोग हमारे घर क्यों आए हैं। तभी इस टीम के लीडर अर्थात पीठासीन अधिकारी ने उन्हें समझाया कि हम आप दोनों के वोट डलवाने आए हैं।
यह सुनकर बुजुर्ग दम्पत्ति की खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। देखते ही देखते इस टीम ने उनके घर में ही पोलिंग बूथ बना दिया। गोपीचंद सोनी व उनकी धर्मपत्नी शांति देवी के सूची पर हस्ताक्षर कराए। इसके बाद बूथ में जाकर दोनों ने पूरी गोपनीयता के साथ बारी-बारी से अपना वोट डाला। गोपीचंद एवं शांति देवी द्वारा डाले गए वोट उनके सामने ही भारत निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के तहत अलग-अलग लिफाफों में सील किए गए। इन मतों को पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था में रखा गया है।
वोट डालने के बाद गोपीचंद व शांतिदेवी की खुशी देखते ही बन रही थी। जीवन के 82 बसंत देख चुके गोपीचंद सोनी व उनकी 81 वर्षीय धर्मपत्नी श्रीमती शांति देवी पिछले हर चुनाव में बड़े उत्साह के साथ अपने मताधिकार का उपयोग करते आए थे। मगर इस बार के उप चुनाव में मतदान को लेकर दोनों बड़े असमंजस में थे। हाल ही में इस बुजुर्ग दम्पत्ति को कोरोना ने जकड़ लिया था। भोपाल के एम्स में उनका इलाज चला। दोनों ने कोरोना पर तो फतह पा ली, पर इस बीमारी की वजह से आई शारीरिक दुर्बलता से उन्हें चलने-फिरने में दिक्कत होने लगी।
गोपीचंद बताते हैं कि हम दोनों यही सोचा करते कि शायद इस बार के उप चुनाव में हम अपना वोट नहीं डाल पायेंगे। तभी हमें पता चला कि भारत निर्वाचन आयोग ने हम जैसे बुजुर्गों और कोरोना संक्रमित मतदाताओं को वोट डलवाने के लिये इस बार विशेष सुविधा मुहैया कराई है। फिर क्या हम दोनों ने अपने बेटे और बीएलओ के सहयोग से घर पर ही वोट डालने के लिये निर्धारित फार्म भर दिए। शांति देवी कहने लगीं कि आज वोट डालने के बाद हमें जो खुशी मिली है उसे हम शब्दों में बयां नहीं कर सकते।