इंदौर। मप्र के बहुचर्चित हनी ट्रैप केस के आरोपी जीतू सोनी के करीबी और होटल माय होम केस में आरोपी रहे नरेंद्र रघुवंशी ने मंगलवार को सुसाइड कर लिया। रघुवंशी सुदामा नगर स्थित अपने घर पर फंदे में लटके मिले। उन्होंने एक सुसाइड नोट भी छोड़ा है, जिसमें पुलिस-प्रशासन द्वारा की गई कार्रवाई के कारण जान देने की बात लिखी। साथ ही मौत के बाद अंग दान करने को भी कहा है। रघुवंशी पिछले दिनों वृद्ध पिता के स्वास्थ्य को लेकर पैरोल पर सेंट्रल जेल से बाहर आए थे। आज पैरोल खत्म हो रही थी।
पुलिस के अनुसार पलासिया थाना में मानव तस्करी और देह व्यापार का केस दर्ज हाेने के बाद नरेंद्र को जीतू सोनी के बेटे अमित के साथ गिरफ्तार किया गया था। कुछ दिन पहले ही उसे पैराेल पर छाेड़ा गया था। मंगलवार को पैरोल खत्म हाेने के बाद उसे फिर से जेल पहुंचना था। जानकारी अनुसार रघुवंशी 20-25 साल से जीतू के साथ जुड़ा हुआ था। वह जीतू के साथ होटल माय होम भी संभालता था। पुलिस को पूछताछ में उसने कबूला था कि उसे 70 हजार रुपए महीने का वेतन भी मिलता है। उसे जीतू के किसी गलत धंधे की उसे जानकारी नहीं थी। वह केवल बिजनेस में साथ देता था।
सुसाइड नोट में यह लिखा
रघुवंशी के पास से पुलिस को एक सुसाइड नोट मिला है, जिसमें उन्होंने लिखा कि मैं अपनी मर्जी से जान दे रहा हूं। इसमें मेरे परिवार का कोई दोष नहीं है। पुलिस-प्रशासन द्वारा मेरे खिलाफ जो कार्रवाई की गई, उससे मेरी प्रतिष्ठा धूमिल हुई है। उसी बात को लेकर मैं जान दे रहा हूं। मेरे मरने के बाद आंख, दिल, किडनी, लीवर किसी जरूरतमंद को दे देना।
उधर, नरेंद्र के बेटे लक्ष्य ने कहा कि पुलिस ने पापा पर झूठा केस दर्ज किया था। 9 महीने तक जेल में रहे थे। जेल में भी उन्हें बहुत परेशान किया था। 2 महीने पहले घर आए थे। कहते थे कि मैं अब जेल नहीं आऊंगा। पापा हमेशा बोलते थे कि कुछ नहीं होगा। मैं जेल से जल्दी आ जाऊंगा। मैंने कोई गलत नहीं किया था। सब जगह मेरा नाम गलत जोड़ा है। लक्ष्य का कहना है कि उसके पिता ना तो माय होम में मैनजर थे और ना ही जीतू सोनी के पार्टनर थे। वे इंजीनियर थे और नाॅर्मल बिजनेस करते थे। वे हुकुम अंकल को जानते थे। सोमवार रात को भी बहुत तनाव में थे। झूठी कार्रवाई की प्रताड़ना से तंग आकर ही जान दी है।