नई दिल्ली। एक तरफ डॉक्टर बता रहे हैं कि जैसे-जैसे सर्दी बढ़ेगी वैसे-वैसे कोरोनावायरस ताकतवर होता चला जाएगा और दूसरी तरफ सरकार के मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि इस साल पिछले कई सालों की तुलना में कहीं ज्यादा कड़ाके की ठंड पड़ेगी। यदि उचित प्रबंध नहीं किए गए तो भारत के 3 राज्य राजस्थान, बिहार और उत्तर प्रदेश में ठंड के कारण कई लोगों की मौत हो सकती हैं।
IMD भारत सरकार के मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि इस साल ला नीना (ला नीना एक प्रतिसागरीय धारा है। इसका आविर्भाव पश्चिमी प्रशांत महासागर में उस समय होता है जबकि पूर्वी प्रशांत महासागर में एल नीनो का प्रभाव समाप्त हो जाता है।) के कारण कड़ाके की ठंड पड़ेगी। IMD के डायरेक्टर जनरल मृत्युंजय महापात्रा ने बुधवार को कहा कि यह आम धारणा है कि जलवायु में परिवर्तन से तापमान बढ़ता है, लेकिन यह सही नहीं है, जलवायु परिवर्तन से मौसम में बदलाव होता है।
महापात्रा ने बताया कि कि कमजोर ला नीना की स्थिति बनती जा रही है, इससे इस साल अत्यधिक सर्दी पड़ सकती है। उन्होंने कहा कि मौसम के रुख को तय करने में ला नीना और एल नीनो प्रभाव का काफी अहम रोल है। वह मौसम पर आयोजित एक वेबिनार को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ला नीना ठंडी हवाओं के अनुकूल होता है और एल नीनो इसके विपरीत। ठंडी हवाओं, जिसे शीत लहर भी कहते हैं, के चलते राजस्थान, उत्तर प्रदेश और बिहार में सबसे अधिक मौतों होती हैं। हर साल आइएमडी नवंबर में सर्दी को लेकर एक पूर्वानुमान जारी करता है, जिसमें बताया जाता है कि दिसंबर से फरवरी के बीच सर्दी के मौसम में कितनी अधिक ठंड पड़ने वाली है।