इंदौर। बिजली बिलों की बकाया वसूली पर रोक के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के ऐलान का असर उल्टा नजर आ रहा है। चुनावी मौसम में हुई इस घोषणा का फायदा पाने के लिए ऐसे उपभोक्ता भी लाइन में लग गए हैं जिन्हें असल में राहत की दरकार नहीं थी।
पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिडेट के आंकड़ों के मुताबिक इंदौर क्षेत्र में कुल एक लाख 40 हजार उपभोक्ता बकाया वसूली पर रोक के दायरे में आए हैं। खास बात ये कि इनमें से ज्यादातर इससे पहले तक नियमित बिल जमा कर रहे थे। घोषणा होते ही इन्होंने बिल जमा करना बंद कर दिया।
लॉकडाउन के दौर में ज्यादातर बिजली उपभोक्ता बढ़े हुए बिजली बिलों की शिकायत कर रहे थे। बिल माफी की मांग की जा रही थी। चुनावी मौसम में मुख्यमंत्री ने बिल माफी का ऐलान तो नहीं किया बल्कि पुरानी वसूली को रोकने का आदेश दे दिया। सितंबर से बिजली कंपनी ने जो नए बिल जारी किए उसमें पुराने एरियर को जोड़ना बंद कर दिया। सिर्फ चालू माह की खपत के बिल ही दिए गए।
उपभोक्ता समझे कि उनके बकाया बिल माफ हो सकते हैं। असर हुआ कि जो उपभोक्ता जुलाई तक नियमित बिजली बिल चुका रहे थे उन्होंने भी अगस्त के बिल जमा नहीं किए। बिजली कंपनी के आंकड़ों से यह साफ हो रहा है। बिजली कंपनी के मुताबिक इंदौर में कुल एक लाख 40 हजार उपभोक्ता राहत के दायरे में आए हैं। इन सभी उपभोक्ताओं को पुराना बकाया एरियर छोड़कर बिल जारी किए गए हैं।
कंपनी के आंकड़ों के अनुसार सभी पर कुल 75 करोड़ रुपये से ज्यादा पुराना बकाया है। खास बात ये है कि इनमें से कुल एक लाख दो हजार उपभोक्ता ऐसे हैं जिन पर बकाया राशि पांच हजार रुपये या उससे कम है। यानी ये उपभोक्ता लंबे समय से बकायादार नहीं है। इनमें से ज्यादातर उपभोक्ता वे हैं जो पहले नियमित बिल जमा कर रहे थे लेकिन घोषणा होते ही अगस्त माह के बिल जमा करना बंद कर दिया।