इंदौर। मध्य प्रदेश का सहकारिता विभाग अपनी ही महिला कर्मचारी पर दबाव बना रहा है। उसका ट्रांसफर इंदौर से टीकमगढ़ (470 किलोमीटर दूर) इसलिए कर दिया गया ताकि वह दबाव में आ जाए और डिप्टी कमिश्नर के खिलाफ की गई यौन उत्पीड़न की शिकायत वापस ले ले। प्रमुख सचिव सहकारिता को पूरा मामला बताया गया परंतु उन्होंने महिला अधिकारी की कोई मदद नहीं की। इधर डिप्टी कमिश्नर को ना तो पुलिस ने गिरफ्तार किया और ना ही प्रमुख सचिव ने विभागीय कार्यवाही आगे बढ़ाई। हाईकोर्ट ने महिला अधिकारी के तर्कों को उचित मानते हुए उसके ट्रांसफर पर स्थगन आदेश जारी कर दिया है।
डिप्टी कमिश्नर के खिलाफ यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज लेकिन गिरफ्तारी नहीं
यह मामला है उस सहकारिता विभाग का जिसके उपायुक्त राजेश छत्री इंदौर में अपनी अधीनस्थ महिला अफसर को लंबे समय तक यौन प्रताड़ना देते रहे। महिला अफसर ने इस बात का प्रतिरोध किया और स्थानीय परिवाद समिति से लेकर शासन स्तर तक आवाज उठाई। मामला मीडिया की सुर्खियां बना तो पुलिस ने छत्री के खिलाफ FIR दर्ज कर ली लेकिन राजेश छत्री को गिरफ्तार नहीं किया गया।
शासन ने डिप्टी कमिश्नर को सस्पेंड किया लेकिन विभागीय कार्यवाही नहीं
डिपार्टमेंट में भी डिप्टी कमिश्नर राजेश छत्री को सस्पेंड तो किया लेकिन इसके आगे कोई विभागीय कार्यवाही नहीं की गई। उल्टा शिकायत करने वाली महिला अफसर को इंदौर से टीकमगढ़ ट्रांसफर कर दिया गया।
प्रमुख सचिव ने महिला अधिकारी की कोई मदद नहीं की
महिला अफसर ने विभाग के प्रमुख सचिव को भी आवेदन दिया कि स्थानीय परिवाद समिति ने भी छत्री को दोषी माना है। मेरा केस विचाराधीन है। इस तरह मेरा तबादला कर दिया जाएगा तो छत्री जैसे अधिकारियों का हौसला बढ़ेगा और मेरा मनोबल गिरेगा। भविष्य में कोई महिला न्याय के लिए नहीं लड़ पाएगी। लेकिन प्रमुख सचिव ने उसका ट्रांसफर कैंसिल नहीं किया।
वादे होकर महिला अफसर को हाई कोर्ट जाना पड़ा। महिला अधिकारी ने बताया कि यौन प्रताड़ना के मामले को प्रभावित करने के लिए दुर्भावना पूर्वक मेरा ट्रांसफर इंदौर से 470 किलोमीटर दूर टीकमगढ़ किया गया है। महिला अधिकारी ने बताया कि मैं अविवाहित हूं और घर में अकेली कमाने वाली हूं, भाई पढ़ रहा है और मां की तबीयत ठीक नहीं है। हाईकोर्ट ने महिला अधिकारी की याचिका को स्वीकार करते हुए उसके ट्रांसफर पर स्टे आर्डर जारी कर दिया है।