इंदौर। मप्र के इंदौर शहर में निगम और प्रशासन द्वारा कार्रवाई के विरोध में प्रदर्शन किया। हजार से ज्यादा ठेलेवाले और फुटपाथ व्यापारियों ने कलेक्टरेट घेरा। उन्होंने कलेक्टर मनीष सिंह को ज्ञापन दिया। इससे पहले सैकड़ों की संख्या में महिलाएं, बच्चे और ठेलेवाले सड़क पर लेट गए और नगर निगम के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
ठेलेवालों और फुटपाथ व्यापारियों को बढ़ावा देने और उनके व्यापार को सुरक्षित रखने के लिए भारत सरकार ने कड़े नियम बनाए हैं, जबकि शहर में इनका पालन होने के बजाय उन्हें नष्ट किया जा रहा है। आंदोलन में बच्चे भी शामिल हुए। उनके हाथ में तख्तियां थीं और पोस्टर थे, जिसमें लिखा है कि मेरा भी परिवार है, जीने का अधिकार है, मेहनत की रोटी खाने दो। भारत हित रक्षा समिति के स्वप्निल जोशी और अभय बाथम ने बताया कि 1 हजार से अधिक सदस्य टीम बनाकर पिछले 3 महीने से शहर की सभी मंडियों और सड़कों के व्यापारियों से समिति के कार्यकर्ता संपर्क स्थापित कर रहे हैं।
समिति का उद्देश्य है शहर में ठेलेवालों और फुटपाथ व्यापारियों के लिए भयमुक्त वातावरण बनाना। इन्होंने बताया कि पिछले 3 महीने में शहर के 15 हजार से अधिक ठेलेवालों से संपर्क स्थापित किया गया। प्रदर्शन दौरान हर ठेले पर एक पोस्टर लगाया गया जिसमें लिखा है- मेरा भी परिवार है, जीने का अधिकार है, मेहनत की रोटी खाने दो। इसका उद्देश्य था हर ठेलेवाले का स्वाभिमान वापस लौटाना और समाज में उन्हें व्यापार का भयमुक्त वातावरण बनाकर देना। 3 महीने तक चले संपर्क अभियान के बाद अब सोमवार कलेक्टरेट का घेराव किया। इस दौरान अधिकारियों को भारत सरकार के नियमों की याद दिलाई गई और बताया गया कि पिछले कुछ सालों में जिस तरह ठेले तोड़े गए वह कानूनन अपराध है।
सरकार ने ठेलेवालों और फुटपाथ पर व्यापार करने वालों की सुरक्षा के लिए साल 2014 में स्ट्रीट वेंडर अमेंडमेंट एक्ट बनाया था। इसमें बताया गया कि सरकार को इन लोगों की सुरक्षा करना है और इनके व्यापार के लिए भयमुक्त वातावरण बनाना है। इसके साथ शहर के प्राचीन बाजारों को सुरक्षित रखना है छोटे व्यापार को बढ़ावा देना है।