इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर वन मंडल की बैठक में आपसी विवाद में मातहत को कथित रूप से जातिसूचक शब्द कहने वाले वरिष्ठ अधिकारी को पुलिस ने थाने ले जाकर बैठाया है। बैठक डेढ़ महीने पहले पट्टा वितरण को लेकर महू में हुई थी।
एक डिप्टी रेंजर के खिलाफ भी कई शिकायतें विचाराधीन हैं। एक मामले में सस्पेंड होने के कुछ दिन बाद ही वन संरक्षक ने गुपचुप तरीके से उन्हें बहाल कर दिया। महू रेंजर महेश अहिरवार ने एसडीओ एके अवस्थी के खिलाफ जातिसूचक शब्द कहने की शिकायत की थी। अवस्थी का कहना है रेंजर द्वारा की गई शिकायत झूठी है। उन्होंने कभी गलत शब्द इस्तेमाल नहीं किया।
इंदौर वन मंडल की महू और चोरल रेंज में वन संरक्षक और एसडीओ की पकड़ शुरू से कमजोर है। यही कारण है कि महकमे के प्रधान मुख्य वन संरक्षक को दो बार राज्य स्तरीय जांच कमेटी बनाकर यहां कटाई और अवैध परिवहन की जांच करने भेजा था। दोनों रेंज में रेंजर से लेकर स्टाफ तक की मिलीभगत की शिकायत ग्रामीण कर चुके हैं। महू में कमेटी को भारी मात्रा में अतिक्रमण भी मिला था। पिछलेे दिनों धार की टीपी (परिवहन अनुज्ञा) पर गाड़ी रवाना कर दी थी। इसी तरह चोरल में रसकुंडिया, आशापुरा सहित कई कक्षों में भारी संख्या में पेड़ कट चुके और अतिक्रमण हुआ है।
डिप्टी रेंजर रघुवीर यादव एक दशक में चार बार जंगल कटाई, अतिक्रमण, फर्जी बिल वाउचर, कागजी मजदूर दिखाकर भुगतान कराने के मामले में सस्पेंड हो चुके हैं। पिछले वर्ष 2 हजार से ज्यादा पेड़ चोरल में कटने पर तत्कालीन मुख्य वन संरक्षक पुरुषोत्तम धीमान ने सस्पेंड किया था। उनके जाते ही यादव को बहाल कर दिया गया। अब उन्हें उड़नदस्ते में पदस्थ किया है। नाके, विभिन्न बीट में जाकर कर्मचारियों की जांच करने की जिम्मेदारी मिली है। वन संरक्षक किरण बिसेन का कहना है मुझे एसडीओ ने कोई सूचना नहीं दी थाने में बैठाने के संबंध में और ना ही पुलिस ने फोन किया। ऐसे में मैं उनकी कैसे मदद कर सकती हूं।