हर अपराध की एक निर्धारित सजा होती है। यदि एक व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को चांटा मारे तो उसे कितनी सजा हो सकती है। यदि मारपीट का उद्देश्य सामान्य है तो यह अपराध एक जमानती अपराध है परंतु यदि कोई लुटेरा बंदूक की नोक पर किसी संपत्ति के मालिक को कुछ समय के लिए बंधक बना लेता है और दहशत पैदा करने के लिए, लूट के अपराध को सफल बनाने के लिए बंधक बनाए गए व्यक्ति को बंदूक की बट से मारता है, जूते से मारता है, लाठी से मारता है, बाल पकड़ कर दीवार में सिर मार देता है या फिर सिर्फ चांटा भी मार देता है तब भी ऐसे लुटेरे को आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 394 की परिभाषा:-
अगर कोई व्यक्ति लूट का अपराध करता है और जिस व्यक्ति का नुकसान हो रहा है उसे सामान्य चोट पहुचाता है, (अर्थात- कम गंभीर चोट) तब चोट पहुचाने वाला व्यक्ति ही धारा 394 के अंतर्गत दोषी होगा।
नोट:- इस अपराध में आरोपी चाहे कितने भी हो लेकिन उस आरोपी को सजा इस धारा के अंतर्गत मिलेगी जिसने स्वंय की इच्छा से सम्पत्तिधारी को क्षतिग्रस्त किया है।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 394 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-
इस धारा के अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं है। यह अपराध संज्ञेय एवं अजमानतीय अपराध है। इनकी सुनवाई का अधिकार प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट को हैं (मध्यप्रदेश राज्य संशोधन 2007 के अनुसार प्रथम श्रेणी में स्थान पर सेशन न्यायालय स्थापित किया गया है)। सजा- इस धारा के अपराध में आरोपी को आजीवन कारावास या 10 वर्ष की कठोर कारावास तक साथ मे जुर्माने से भी दण्डित किया जा सकता है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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