ग्वालियर। जीवाजी विश्वविद्यालय में लगभग 8 साल पहले हुई प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्तियों में गड़बड़ी का मामला 7 साल की जांच के बाद भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा है। अब कोर्ट ने कहा है कि CID दो माह में जांच पूरी कर रिपोर्ट कोर्ट में जमा कराए। कोर्ट के आदेश के बाद JU में खलबली मची हुई है।
उल्लेखनीय है कि पूर्व कुलपति के कार्यकाल में बॉटनी, इनवायरमेंट साइंस, लॉ, मैनेजमेंट जैसे विभागों में सत्रह शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी। इसके बाद शिकायत हुई थी कि इन नियुक्तियों में गड़बड़ी हुई है, जिसमें कहा गया था कि जो अभ्यर्थी पात्रता नहीं रखते हैं उन्हें नियुक्त कर दिया गया है, जबकि योग्य अभ्यर्थियों को बाहर कर दिया गया है।
सात पहले नियुक्ति में हुई गड़बड़ी की शिकायत जीवाजी विश्वविद्यालय से की गई थी, लेकिन वहां पर जांच के नाम पर सिर्फ औपचारिकता की गई, जिसके बाद शिकायतकर्ता राजेन्द्र सिंह ने मामले की शिकायत CID व STF में की, जिस पर CID ने मामले की जांच शुरू की, इस मामले में CID द्वारा मांगे जाने वाले दस्तावेज नहीं मिले, जिससे जांच जस की तस रही।
अब शिकायतकर्ता राजेन्द्र सिंह शिकायत लेकर न्यायालय पहुंचे और याचिका लगाई, अब न्यायालय ने दो माह में जांच पूरी करने के निर्देश CID को दिए हैं। न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद अब जांच में गति आ सकती है।
इन बिन्दुओं पर होगी जांच
नियुक्ति प्रक्रिया में अनुभव प्रमाण पक्षों में गड़बड़ी किए जाने की जांच हो सकती है, योग्यता पूरी ना होने की भी जांच हो सकती है, नियुक्तियों में आर्थिक भ्रष्टाचार की भी जांच हो सकती है।
इस मामले में छात्र संगठनों ने जीवाजी विश्वविद्यालय प्रबंधन से निष्पक्ष जांच की मांग की थी। छात्र संगठनों का कहना था कि उन्हें पढ़ाने वाले शिक्षकों की नियुक्तियों में गड़बड़ी है तो वे उन्हें क्या पढ़ाएंगे।