ग्वालियर। इस समय देश में कांग्रेस का संगठन खत्म हो चुका है और उपचुनाव के प्रचार में कांग्रेस के बड़े नेता गायब हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने देश में और उनके बड़े भाई कमलनाथ ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस को डुबो दिया और 10 नवंबर को उपचुनाव का परिणाम आते ही कमलनाथ जी की राजनीतिक पारी का अंत हो जाएगा। कांग्रेस नेता इस्तीफा देने वाले विधायकों को बिकाऊ कह रहे हैं, लेकिन सबूत एक भी नहीं है। ऐसा कहना एक जनप्रतिनिधि को बदनाम करना है। यह कहना है भाजपा के पूर्व उपाध्यक्ष प्रभात झा का।
श्री झा गुरुवार को पत्रकारों से बात कर रहे थे। उनके साथ मप्र के पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता, भाजपा जिलाध्यक्ष कमल माखीजानी, संभागीय मीडिया प्रभारी पवन कुमार सेन और नीरू ज्ञानी भी उपस्थित थे। श्री झा ने कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं की नहीं, बल्कि एक परिवार और चंद नेताओं की पार्टी है। यही कारण है कि मप्र में कांग्रेस को कमलनाथ ने खत्म कर दिया और देश में उनके नेता राहुल गांधी ने पार्टी को डुबो दिया।
15 महीने प्रदेश में कांग्रेस की सरकार रही, लेकिन कमलनाथ ग्वालियर-चंबल सहित प्रदेश के ज्यादातर हिस्से में नजर ही नहीं आए, वहीं हमारे नेता शिवराज जी हर स्थान पर पहुंचे। इससे सिद्ध हो गया है कि कांग्रेस का संगठन खत्म हो गया है और इसी कारण उनके बड़े नेता, दिग्विजय सिंह जैसे लोग प्रचार से गायब हैं। अब कमलनाथ जी को यह चुनौती है कि वे उपचुनाव वाली 28 सीटों में से एक भी सीट ऐसी बता दें, जिसे वे अच्छी तरह जीत रहे हैं।
बिकाऊ कहना जनप्रतिनिधि का अपमान
उन्होंने कहा कि 2018 में कांग्रेस सत्ता में आई और भाजपा से कुछ सीटों पर ही आगे रही, लेकिन पहले दिन से हिलती रही। भाजपा ने कोई जोड़-तोड़ नहीं की और वह अपने ही लोगों के बोझ के कारण गिर गई। कमलनाथ जी ने जो वचन पत्र जनता के सामने रखा, उसे पूरा नहीं किया, जिससे उनके ही विधायक नाराज हो गए। अब वे इस्तीफा देने वाले विधायकों को बिकाऊ कह रहे हैं। बिकाऊ कहने के बाद एक भी सबूत नहीं दिखा पाए और यह जनप्रतिनिधि का अपमान है। एक भी विधायक नहीं बिका और वोट को नोट से तोलना गलत है।
कांग्रेस सहित दूसरे दल पारिवारिक पार्टी
श्री झा ने कहा कि भाजपा ही कार्यकर्ता आधारित दल है। यहां जमीनी कार्यकर्ता राष्ट्रीय स्तर का नेता बन सकता है, वहीं कांग्रेस सहित दूसरे राजनीतिक दल परिवार की पार्टी बन गए हैं। कांग्रेस में तो टेंडर भरना पड़ता है और कमलनाथ जी ने मप्र का टेंडर भरा था। एक परिवार पूरी पार्टी का खा गया। प्रदेश में होने वाले उपचुनाव में सीधा संदेश है, कमलनाथ चाहिए या शिवराज और लोग श्री शिवराज जी को पसंद कर रहे हैं। कमलनाथ ने तो प्रदेश के सचिवालय को दलालों का अड्डा बना दिया था।
कुर्सी खिसकने पर कांग्रेस की राजनितिक चिल्लाहट बढ़ी
कांग्रेस लगातार आरोप लगा रही है, लेकिन यह उनकी राजनीतिक चिल्लाहट है, क्योंकि उनकी कुर्सी खिसक रही है। लोकसभा चुनाव में भाजपा में मप्र में 28 सीटें जीती थीं और वह 211 विधानसभा क्षेत्रों में आगे थी। इससे कांग्रेस की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है और उनका बौखलाना स्वाभाविक है।