भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री कमलनाथ ने श्री राहुल गांधी से ताजा-ताजा अनबन के बावजूद श्रीमती प्रियंका वाड्रा गांधी को ग्वालियर चंबल क्षेत्र में चुनाव प्रचार के लिए बुलाया है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से रिक्वेस्ट भेज दी गई है। अब देखना यह है कि श्रीमती प्रियंका वाड्रा गांधी क्या डिसीजन लेतीं है।
मध्य प्रदेश में चुनाव प्रचार के लिए प्रियंका गांधी का कार्यक्रम
करना चाहते हैं कि श्रीमती प्रियंका वाड्रा गांधी और राजस्थान के युवा नेता सचिन पायलट मुरैना से मध्य प्रदेश में प्रवेश करें और उनका रोड शो ग्वालियर होते हुए दतिया पहुंचे। इस दौरान ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव प्रचार किया जाएगा और दतिया में विश्व प्रसिद्ध श्री पीतांबरा पीठ के दर्शन किए जाएंगे। इसके बीच में दो या तीन चुनावी सभाएं आयोजित की जाएगी।
राहुल गांधी और कमलनाथ के बीच क्या समस्या है
2018 में विधानसभा चुनाव से पहले भी यह बात कई बार कही गई थी कि श्री कमलनाथ, राहुल गांधी का नेतृत्व स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। उन दिनों राहुल गांधी को कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का अभियान चल रहा था। पिछले दिनों भारतीय जनता पार्टी की दलित महिला प्रत्याशी श्रीमती इमरती देवी को "क्या आइटम है" कहने के बाद कमलनाथ विरोधियों के सीधे टारगेट पर आ गए। इसी दौरान राहुल गांधी ने ना केवल कमलनाथ के बयान की निंदा की बल्कि इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया। बिना समय गवाएं कमलनाथ ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि "वह राहुल गांधी के व्यक्तिगत विचार हैं।" इस प्रकार कमलनाथ ने राहुल गांधी के नेतृत्व को सार्वजनिक रूप से नकार दिया है।
क्या प्रियंका गांधी, कमलनाथ को पसंद करती हैं
2019 में लोकसभा चुनाव के बाद जब राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी की जबरदस्त पराजय हुई और मध्य प्रदेश में कमलनाथ के मुख्यमंत्री होने के बावजूद सिर्फ एक सीट (छिंदवाड़ा लोकसभा जहां से उनके बेटे नकुल नाथ को प्रत्याशी बनाया गया था) पर जीत दर्ज हो पाई तो राहुल गांधी काफी नाराज हो गए थे। उन्होंने पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। उन दिनों खबर आई थी कि प्रियंका गांधी ने कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं (जिसमें कमलनाथ भी शामिल थे) को कांग्रेस पार्टी का हत्यारा कहा था। यह खबर देश भर की मीडिया में प्रकाशित और प्रसारित हुई थी एवं किसी भी पक्ष की ओर से इसका खंडन नहीं किया गया था।