भोपाल। मप्र तृतीय वर्ग शास कर्म संघ के प्रांताध्यक्ष श्री प्रमोद तिवारी, उपाध्यक्ष कन्हैयालाल लक्षकार, महामंत्री हरीश बोयत व सचिव द्वय जगमोहन गुप्ता एवं यशवंत जोशी ने संयुक्त प्रेस नोट में बताया कि दिवंगत शासकीय सेवक के परिजन को अनुकंपा नियुक्ति का प्रावधान है। संवेदनहीन कर्मचारियों अधिकारियों का काकस बगैर भ्रष्टाचार के फाइलें निराकरण करना ही नहीं चाहता है।
दिवंगत कर्मचारियों के परिजनों को जिलें से राजधानी तक चक्कर पर चक्कर देते हुए आफिस-आफिस खिलाया जाता है। प्रदेश में हजारों लंबित प्रकरण इसका जीता-जागता उदाहरण है। हताश, निराश परिजनों को अनचाहे भ्रष्टाचार की ओर प्रवृत्त किया जाता है। नौकरी के लिए मजबूर परिजन भ्रष्टाचार की गंगा में नहाने से गुरेज नहीं करते हैं। यही कारण है कि भ्रष्टाचार का शिकार "संवेदन शून्य" होकर पहले तो अपनी दी गई राशि की वसूली के लिए भ्रष्टाचार का श्रीगणेश करता है, फिर यह कदाचरण आदर्श बनकर जीवन पर्यंत चलता रहता है।
विडम्बना देखिये "दिवंगत कर्मचारी" के निकट रहे कर्मचारियों को अनुकंपा नियुक्ति प्राप्त परिजन भ्रष्टाचार का शिकार बनाने से भी परहेज नहीं करता है। शासन ने शासकीय कामों को सरलता से निपटाने के लिये नियम बना रखे हैं, लेकिन उन्हें ढाल बनाकर प्रकरण में तथ्यहीन आपत्ति लगाकर आम आदमी से लेकर कर्मचारियों को चक्कर लगवा-लगवा कर भ्रष्टाचार देने को मजबूर कर देते है।
"मप्र तृतीय वर्ग शास कर्म संघ" शासन से मांग करता है कि अनुकंपा नियुक्ति के प्रकरणों की समीक्षा करवाकर जटिल नियम हटाये जावे। नियमों का सरलीकरण करने के साथ-साथ हर काम की समय-सीमा तय की जानी चाहिए। अनिश्चित काल तक लंबित रखकर शासन की छवि धूमिल करने के कुत्सित प्रयासों पर रोक लगना चाहिए। ऐसे काकस को बहती गंगा में हाथ धोने पर जवाबदेही सुनिश्चित कर बाधक तत्वों के खिलाफ योग्य अनुशासनात्मक कार्रवाई का प्रावधान हो ना चाहिए। लाकडाउन से कोरोना के समान भ्रष्टाचार की चेन को तोड़ा जा सके।