जबलपुर। मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले में दलित लड़की की रिपोर्ट ना लिखने और लापरवाही बरतने के आरोप में चिचली थाना प्रभारी श्री अनिल सिंह और गोटिटोरिया पुलिस चौकी के प्रभारी मिश्रीलाल कुड़ापे को गिरफ्तार कर लिया गया है। इनके साथ उन 3 लोगों को भी गिरफ्तार कर लिया गया है जिन पर दलित लड़की ने बलात्कार का आरोप लगाया था। लड़की ने शुक्रवार 2 अक्टूबर 2020 को अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।
हाथरस उत्तर प्रदेश का विवाद और मध्य प्रदेश में उपचुनाव के चलते मामले की प्राथमिक जानकारी मिलते ही मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने नरसिंहपुर के एडिशनल एसपी श्री राजेश तिवारी और गाडरवारा के सब डिविजनल पुलिस ऑफिसर सीताराम यादव को पुलिस मुख्यालय भोपाल अटैच कर दिया था। इसके बाद बलात्कार का मामला दर्ज किया गया और रिपोर्ट लिखने वाले दो पुलिस अधिकारियों के खिलाफ भी अलग से FIR दर्ज की गई। दोनों पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। इसके अलावा पांच आरोपियों को भी गिरफ्तार किया गया है।
महिला के पति का आरोप है कि उसकी पत्नी के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ था। इसकी रिपोर्ट लिखाने के लिए 3 दिन से पुलिस के चक्कर लगा रहे थे। आरोपितों को गिरफ्तार करने की जगह उन्हें ही लॉकअप में डाल दिया गया था। पति ने एसडीओपी गाडरवारा सीताराम यादव को बताया कि उसकी पत्नी 28 सितंबर को गांव स्थित खेत में चारा काटने गई थी। जहां पर परसू, अरविंद और अनिल नाम के तीन लोगों ने सामूहिक दुष्कर्म किया। घर आने पर पत्नी ने घटना के बारे में बताया। सभी रात को ही गोटिटोरिया पुलिस चौकी पहुंचे, जहां उनसे आवेदन लेकर सुबह मेडिकल कराने की बात कही गई। आरोप है कि जब दूसरे दिन 29 सितंबर को वे चौकी पहुंचे तो उनकी रिपोर्ट नहीं लिखी गई।
30 सितंबर को वह चीचली थाना पहुंचे, जहां उनकी फरियाद सुनने के बजाय पुलिसकर्मियों ने महिला के पति, जेठ को ही लॉकअप में बंद कर दिया। पीड़िता के साथ गाली-गलौज की गई। आरोप है कि महिला के परिजन को छोड़ने के एवज में पुलिस ने उनसे रुपए लिए। इससे व्यथित महिला ने आत्महत्या कर ली।
मामला संज्ञान में आने के 18 घंटे में आरोपी गिरफ्तार
एसपी अजय सिंह ने बताया कि मामले में दुष्कर्म के आरोपी तीन लोग, आत्महत्या के लिए उकसाने वाले दो अन्य को गिरफ्तार कर लिया गया है। वहीं, पीड़िता की रिपोर्ट नहीं लिखने और लापरवाही बरतने वाले चिचली थाना प्रभारी और गोटिटोरिया चौकी प्रभारी को भी गिरफ्तार किया गया है। उन पर क्रिमिनल लॉ की धारा 166-ए लगाई गई है। जिसके अनुसार अगर कोई पुलिस अधिकारी महिला की एफआईआर नहीं लिखता है तो उसके खिलाफ एफआईआर की जाती है। मामला संज्ञान में आने के बाद हमने 18 घंटे में आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।