भोपाल। पूरे मध्यप्रदेश में हालात बिगड़ने ही वाले हैं क्योंकि शिवराज सिंह सरकार ने 18 अक्टूबर 2020 तक मध्य प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों को वेतन नहीं दिया है। पूछने पर अधिकारी बता रहे हैं कि बजट का आवंटन नहीं हुआ है। कुल मिलाकर शिक्षकों को तंग करने वाले अधिकारी एक बार फिर अपनी हरकतों पर उतर आए हैं।
मध्यप्रदेश में शिक्षकों को तंग करने का खेल लंबे समय से चल रहा है। अधिकारियों का एक बड़ा वर्ग है जो यह मानता है कि शिक्षक कोई काम नहीं करते और उन्हें मुफ्त का वेतन दिया जाता है। वह शिक्षकों को अयोग्य मानते हैं और उन्हें प्रताड़ित करने का कोई ना कोई बहाना ढूंढ लेते हैं। लॉकडाउन के बाद और त्यौहार सीजन से पहले वेतन का वितरण रोक कर शिक्षकों को तंग किया जा रहा है।
मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री इंदर सिंह परमार का कहना है कि बजट की कोई समस्या नहीं है, संविलियन के कारण शिक्षकों का हेड बदलना है इसलिए वेतन वितरण में देरी हो गई है। सरल सवाल सिर्फ इतना सा है कि क्या हेड बदलने की प्रक्रिया इस तरह से शुरू नहीं की जा सकती थी कि वह 1 अक्टूबर को खत्म हो जाती है। क्यों ना यह मान लिया जाए कि शिक्षकों को तंग करने के लिए देरी की जा रही है।