भोपाल। कमलनाथ के समर्थक कांग्रेस के चुनाव अभियान के लिए सिरदर्द बन गए हैं। जय-जय कमलनाथ से सुबह की शुरुआत करने वाले कांग्रेस के कुछ नेताओं के बयान कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए हानिकारक साबित हो रहे हैं। बीते रोज कांग्रेस के एक नेता ने कमलनाथ को भारत का दूसरा सबसे बड़ा उद्योगपति और सीएम शिवराज सिंह चौहान को भूखे-नंगे घर का बताया था। 2 दिन बाद पार्टी को जब समझ में आया कि यह बयान बेहद नुकसानदायक हो गया है तो कमलनाथ ने अपने मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा के माध्यम से शिवराज सिंह चौहान को भला-चंगा बता दिया।
मेरा क्या कसूर- जैसे इमोशनल चुनाव कैंपेन चलाने वाले मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने दांव उल्टा पड़ जाने के बाद कहा है कि शिवराज सिंह व भाजपा के पास कोई मुद्दा नहीं बचा है इसीलिए वह चुनाव को विकास के मुद्दों की बजाय भावनात्मक मुद्दों पर ले जाना चाहते हैं।
राजनीति में बयान सबसे महत्वपूर्ण होता है एक बयान "माई का लाल" के कारण शिवराज सिंह चौहान सत्ता में वापसी नहीं कर पाए थे और एक बयान "तो उतर जाएं" के कारण कमलनाथ को मुख्यमंत्री की कुर्सी से उतरना पड़ा और मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ ने नरेंद्र सलूजा के माध्यम से कहलाया कि "एक बयान को भाजपा व शिवराज मुद्दा बनाने का काम कर रहे हैं और चुनाव को उस ओर मोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।
सीएम शिवराज सिंह चौहान के "विकास चालीसा" (जिसमें वह लगातार 25 मिनट तक बोलते हुए 15 सालों में किए गए काम गिनाते हैं) से लोग बोर होने लगे हैं और सलूजा का कहना है कि शिवराज सिंह चौहान अपने 15 वर्ष पर ना बात करने को तैयार है और ना हिसाब देने को।
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी की तरफ से एक बार फिर उन घोटालों का जिक्र किया गया जिन को आधार बनाकर 2018 में कांग्रेस पार्टी ने वोट प्राप्त किए और सरकार बनने के बाद एक भी घोटाले पर कोई कार्यवाही नहीं की। यहां तक की विधानसभा सदन के भीतर सिंहस्थ घोटाले के होने से ही इंकार कर दिया। व्यापम घोटाला, जो मध्य प्रदेश में सत्ता परिवर्तन का प्रमुख कारण बना, कमलनाथ सरकार ने 15 महीने में कोई कार्यवाही नहीं की। उल्टा व्यापम का माफिया सत्ताधारियों का स्वागत करता हुआ नजर आया।