भोपाल। मध्यप्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ का कहना है कि हाल ही में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने जिन 10000 अत्याधुनिक शासकीय विद्यालयों की घोषणा की है, यदि अवधारणा फलीभूत हो गई तो मध्य प्रदेश के एक लाख से ज्यादा शिक्षक अतिशेष हो जाएंगे और आने वाले कई सालों तक शिक्षकों की भर्ती करने की जरूरत ही नहीं बचेगी। सरल शब्दों में, शिवराज सिंह के 10000 स्कूल मध्य प्रदेश के हजारों शासकीय विद्यालयों को खत्म कर देंगे।
मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष कन्हैयालाल लक्षकार ने बताया कि राज्य शिक्षा केंद्र के आदेश क्रमांक/राशिके/ईएण्डआर/2020/60, भोपाल दिनांक 28/09/2020 परिपत्र-1 के अनुसार प्रदेश में कुल 10,000 विद्यालयों को सर्वसुविधा युक्त रूप में विकसित करना प्रस्तावित है।
आदेशानुसार स्कूल चिन्हांकन मापदंड सीएम राइज के भौतिक सत्यापन व चयन प्रक्रिया के तहत प्रत्येक जनशिक्षा केंद्र में ऐसे "चार" विद्यालय स्वीकृत किये जाएंगे। इनमें न्यूनतम 1000 छात्र-छात्रा दर्ज किये जाएंगे। अवधारणा है कि सर्वसुविधा युक्त विद्यालय में नर्सरी से 12वीं तक कक्षाओं का संचालन किया जावेगा। इनमें "कक्षा कक्ष, खेल मैदान, लाइब्रेरी, कम्प्यूटर, लेबोरेट्री" से सुसज्जित करने के लिए आसपास की बसाहटों के केंद्र में होना चाहिए।
बसाहटों में संचालित विद्यालयों को बंद कर कम से कम दूरी से छात्रों को परिवहन कर लाया जावेगा। प्रदेश में कुल 3407 जनशिक्षा केंद्रों में औसत 2000 विद्यार्थियों का नामांकन है। व्यवस्था परिवर्तन से प्रत्येक जनशिक्षा चार-चार विद्यालय प्रस्तावित है, ऐसे तीन-तीन विद्यालय भी खोले गये तो प्रदेश भर में संचालित हजारों PS, MS, HS, HSS का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। विद्यालयों के साथ हजारों शिक्षक अतिशेष की स्थिति में आ जाएंगे। इस व्यवस्था से वर्षो तक शासकीय विद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती पर पूर्ण प्रतिबंध लग जाएगा। वैसे भी 2012-13 के बाद शिक्षकों की भर्ती नहीं हुई है।
नई व्यवस्था को अमलीजामा पहनाया जाता है तो शिक्षकों की सेवाएं तो प्रभावित होगी ही साथ ही बीएड/डीएड प्रशिक्षित बेरोजगारों के मंसूबों पर भी पानी फिरने वाला है। नर्सरी से बारहवीं तक कक्षाओं के लिए छात्रों को परिवहन के समय दुर्घटनाग्रस्त होने की संभावनाएं बनी रहेगी, इससे सुरक्षा का खतरा किसी से छिपा नहीं है। प्रतिवर्ष छात्रों के परिवहन के समय वाहन दुर्घटनाग्रस्त होने से नौनिहालों को काल-कवलित होते देखा है। प्रभावित परिवार के दुःख का अहसास करने से ही सिरहन पैदा हो जाती है।
मप्र तृतीय वर्ग शास कर्मचारी संघ मांग करता है कि "सीएम राइज के तहत स्कूल चिन्हांकन मापदंड प्रक्रिया" रोक कर बच्चों एवं बेरोजगारों के भविष्य से खिलवाड़ नहीं किया जावे। वर्तमान में संचालित विद्यालय को बुनियादी सुविधाओं से सुसज्जित किया जाना ज्यादा श्रेयस्कर होगा। यही कल्याणकारी राज्य की अवधारणा के अनुरूप होगा।