दमोह। अब तो पक्का यकीन मान लीजिए सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर भगवान के समान नहीं बल्कि भगवान हो गए हैं। मध्य प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव जब गढ़ाकोटा स्थित अस्पताल को देखने गए तब तक सरकारी डॉक्टर अपने स्टाफ के साथ अंतर्ध्यान हो चुके थे। मंत्री जी को अस्पताल में चौकीदार तक नहीं मिला।
मजबूर मंत्री ने फेसबुक पर वीडियो अपलोड किया
कहने को तो सारी सरकारी ताकत मुख्यमंत्री और मंत्रियों के हाथ में होती है परंतु बात सरकारी डॉक्टर की हो तो सरकार घुटने टेके हुए नजर आती है। कैबिनेट मंत्री ने सरकारी अस्पताल का दौरा किया। उन्हें वार्ड बॉय तक नहीं मिला। होना यह चाहिए था कि 24 घंटे के भीतर कड़ी कार्रवाई होती है और इसकी जानकारी सरकारी स्तर पर प्रेस तक पहुंचाई जाती है परंतु मध्यप्रदेश में डॉक्टरों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जा सकती। मजबूर मंत्री ने विपक्षी पार्टी के विधायक की तरह अस्पताल की पोल खोलने वाला वीडियो फेसबुक पर अपलोड कर दिया।
कैबिनेट मंत्री गोपाल भार्गव ने फेसबुक पर क्या लिखा
विगत कुछ दिनों से मुझे शिकायत प्राप्त हो रही थी कि गढ़ाकोटा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों को घंटों प्रतीक्षा करनी पड़ती है लेकिन कोई भी डॉक्टर या कर्मचारी उन्हें नहीं मिलते कल देर रात भोपाल से लौटने के उपरांत आज दोपहर मुझे पुनः शिकायत प्राप्त हुई कि अस्पताल में मरीजों के लिए डॉक्टर या कर्मचारी नहीं मिलते है तथा शासन द्वारा अस्पताल में उपलब्ध कराई गई दवाइयां, एक्स-रे फिल्म आदि की व्यवस्था भी नहीं है. जिसके उपरांत आज रात्रि 2:30 बजे मैंने गढ़ाकोटा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का औचक निरीक्षण किया। मेरे साथ में गढ़ाकोटा नगर के कुछ आमजन भी मौजूद थे मैंने पूरी अस्पताल का भ्रमण किया जोर जोर से आवाज भी लगाई लेकिन कोई भी डॉक्टर, कंपाउंडर, नर्स या पैरामेडिकल स्टाफ यहाँ तक कि चौकीदार भी अस्पताल में उपस्थित नहीं मिला। पूरे अस्पताल की परिक्रमा करने के बाद मैं अपनी स्कूटी से अपने घर आ गया, सोच रहा हूं ! कि कैसे गैर जिम्मेदार लोग है कि प्रदेश सरकार में मंत्री के गृह नगर के स्वास्थ्य केंद्र के यह हालात हैं कि मंत्री 2:30 बजे रात को जाग रहा है और कर्मचारी दिन में भी नहीं मिल रहे हैं। यही हाल मेरे विधानसभा क्षेत्र के रहली प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तथा शाहपुर स्वास्थ्य केंद्र का भी है।
बड़ा सवाल! अब क्या फेसबुक यूजर्स की कमेटी डॉक्टर को सस्पेंड कर दे
बड़ा और इकलौता सवाल यह है कि अब क्या किया जाए। लोगों को समस्या होती है तो वह मंत्री के पास आते हैं। उम्मीद की जाती है कि मंत्री कार्रवाई करेंगे। यहां तो मंत्री जनता के पास आ गया। आम आदमी की तरह शिकायत कर रहे हैं। सवाल यह है कि अब कार्रवाई कौन करेगा।