भोपाल। मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और छिंदवाड़ा के विधायक कमलनाथ अपने लिए जब भी कोई प्रचार अभियान अप्रूव करते हैं, अक्सर उसमें भगवान के लिए प्रयोग किए जाने वाले शब्दों का समावेश होता है। 2018 से लेकर अब तक "जय-जय कमलनाथ" अभियान चलाया जा रहा था और अब कमलनाथ को मर्यादा पुरुषोत्तम बताया जा रहा है। याद दिलाना जरूरी है कि पिछले 5000 साल में भारतवर्ष की भूमि पर केवल भगवान श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया।
कमलनाथ जिंदाबाद की जगह जय-जय कमलनाथ
राजनीति में हमेशा जिंदाबाद शब्द का उपयोग किया जाता है। कोई संविधान नहीं है लेकिन जनता की अदालत है, जिसमें फैसले होते हैं। मध्य प्रदेश क्षेत्र में जय-जय शब्द का उपयोग हमेशा अपने आराध्य, इष्ट देवता के लिए किया जाता रहा है। पहली बार किसी आधिकारिक चुनाव अभियान में इन शब्दों का उपयोग किया गया।
भगवान राम के बाद कमलनाथ हुए मर्यादा पुरुषोत्तम
पूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह और उनके साथी साधु संत बहुत अच्छे तरीके से जानते हैं कि "मर्यादा पुरुषोत्तम" शब्द का उपयोग प्रभु श्रीराम के लिए किया गया। उनके अपने रघुवंश कुल में, पूरे क्षत्रिय समाज में कभी भी किसी लोकप्रिय राजा-महाराजा के लिए "मर्यादा पुरुषोत्तम" शब्द का उपयोग नहीं किया गया। किसी भी कानून के तहत इस शब्द का प्रयोग प्रतिबंधित नहीं है परंतु कमलनाथ के इष्ट देव श्री हनुमान के अनुसार पृथ्वी पर मर्यादा पुरुषोत्तम केवल प्रभु राम ही हो सकते हैं, भगवान राम के अलावा इस धरती पर अब तक कोई भी ऐसा मनुष्य नहीं जन्मा जिसे मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जा सके। हद होती है आत्ममुग्धता की, कमलनाथ को अपने लिए कुछ और चुनना चाहिए था।