मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले की माध्यमिक पाठशाला हर्रई पूर्व में पदस्थ महिला शिक्षक उषा देवी मोहल्ले-मोहल्ले जाकर बच्चों को पढ़ाई कराती हैं। लॉकडाउन में जब बच्चों की पढ़ाई बाधित हुई तो उन्होंने अपनी स्कूटी को ही चलता-फिरता पुस्तकालय बना लिया। सुबह आठ बजे से चार घंटे तक बच्चों के बीच रहना और उनको पढ़ाना अब दिनचर्या बन गया है। बच्चे भी 'किताबों वाली दीदी' का सुबह से उठकर इंतजार करते हैं। स्कूटी की आवाज सुनकर वे दौड़ पड़ते हैं। स्कूटी में ज्ञान-विज्ञान से लेकर जरूरी विषयों की लगभग 100 किताबें मौजूद रहती हैं।
चलता-फिरता पुस्तकालय मिलने से बच्चों के माता-पिता भी खुश हैं। शिक्षिका बच्चों को कहानियां पढ़ाने और वाचन क्षमता बढ़ाने के लिए करीब दो महीने से मोहल्ले-मोहल्ले पहुंच रही हैं। हर मोहल्ले में करीब 15-20 बच्चे अलग-अलग आकर कहानियां पढ़ते हैं। साथ ही बच्चे अब अंग्रेजी भाषा बोलना भी सीख रहे हैं। महिला शिक्षक उषा देवी का कहना है कि लॉकडाउन के बाद बच्चों की पढ़ाई एकदम रुक सी गई थी। चलते-फिरते इस पुस्तकालय ने तो बच्चों में उत्साह पैदा कर दिया है। अब आलम यह है कि बच्चे उनका इंतजार करते रहते हैं। उन्हें स्कूल जैसा माहौल मिल रहा है और सभी बच्चे मन लगाकर पढ़ाई कर रहे हैं।
उषा देवी बताती हैं कि पुस्तकालय में कक्षा एक से लेकर आठवीं तक के बच्चों के लिए किताबें हैं। मैं चार किमी क्षेत्र में चिन्हित मोहल्ले में बच्चों को इकट्ठा करके पुस्तकें देती हूं। बच्चों को अलग-अलग खड़ा करके वाचन करने में लगे समय को बाकायदा नोट करती हूं। अगले दिन यह देखती हूं कि पढ़ाई के समय में कितना सुधार हुआ और कहां कमी रह गई। बच्चे करीब एक घंटे तक कहानियां पढ़ते हैं। कहानी के अलावा अंग्रेजी सहित अन्य विषयों पर भी चर्चा की जाती है।