Special leave petition of Madhya Pradesh government dismissed by Supreme Court
भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई विशेष अवकाश याचिका खारिज कर दी गई है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि राज्य सरकार ने याचिका दाखिल करने में 1 साल 10 महीने की देरी की। राज्य सरकारों को यह समझ लेना चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट उनकी सैरगाह नहीं है। इसलिए इसे खारिज कर दिया जाता है।
सरकारें जानबूझकर देरी से याचिका दाखिल करती हैं: सुप्रीम कोर्ट
मध्य प्रदेश सरकार की याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि सरकारें जानबूझकर याचिका दायर करने में देरी करती है, ताकि उनकाे यह कहने का बहाना मिल जाए कि काेर्ट ने याचिका खारिज कर दी, अब इस मामले में कुछ नहीं किया जा सकता।
मध्य प्रदेश के ब्यूरोक्रेट्स के रवैया से सुप्रीम कोर्ट नाराज, 25000 का हर्जाना
जस्टिस संजय किशन काैल और दिनेश माहेश्वरी की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस संबंध में नाैकरशाहाें के रवैये पर भी नाराजगी जताई और याचिका काे लेकर 25 हजार रुपए का हर्जाना भी लगाया। मप्र राज्य बनाम भेरू लाल से जुड़े मामले में यह याचिका निर्धारित अवधि से 1 साल, 10 महीने, 1 दिन की देरी से दायर की गई थी। याचिका 15 अक्टूबर काे जस्टिस काैल की पीठ में सुनवाई के लिए आई थी।
राज्य सरकार को दी गई छूट असीमित अवधि के लिए नहीं: सुप्रीम कोर्ट
काेर्ट में राज्य सरकार की ओर से कहा गया था कि देरी का कारण “दस्तावेज की अनुपलब्धता और उन्हें व्यवस्थित करना बताया गया था। इसके लिए नौकरशाही को भी जिम्मेदार ठहराया गया था। इस पर सुप्रीम काेर्ट ने कहा, “इसमें काेई संदेह नहीं है कि सरकार की ओर से याचिका दायर करने में देरी काे कुछ हद तक छूट दी गई है, लेकिन इसे असीमित अवधि तक नहीं बढ़ाया जा सकता है।’