जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने डॉ आनंद सोनी की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग के डिसीजन को चुनौती दी थी। डॉक्टर सोनी ने अपने आवेदन में खुद को पिछड़ा वर्ग क्रीमी लेयर बताया था और रिजल्ट आने के बाद वह चाहते थे कि उन्हें सिर्फ पिछड़ा वर्ग श्रेणी में रखा जाए ताकि उनका चयन हो जाए। मध्य प्रदेश पब्लिक सर्विस कमिशन ने उनका आवेदन खारिज किया तो वह उसके खिलाफ हाईकोर्ट में चले आए थे।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय यादव व जस्टिस राजीव कुमार दुबे की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता डॉ.आनंद सोनी की ओर से अधिवक्ता एलसी पटने ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि 2017 में पीएससी के जरिये असिस्टेंट प्रोफेसर पद की परीक्षा आयोजित की गई थी। इसमें याचिकाकर्ता शामिल हुआ। शर्त के अनुसार जिस श्रेणी के तहत आवेदन किया गया था, उसी के तहत चयन संभव था।
सितंबर 2018 में परिणाम आया, जिसमें याचिकाकर्ता मैरिट में नहीं आया। इसी के साथ उसे अपनी गलती का एहसास हुआ कि उसने परीक्षा फॉर्म भरते समय ओबीसी के साथ क्रीमीलेयर श्रेणी भर दी थी। यदि सिर्फ ओबीसी भरी होती, तो वह मैरिट में आ गया होता। चूंकि नियमानुसार इस तरह की गलती के सुधार के लिए छह माह की अवधि निर्धारित थी, जो कि रिजल्ट आने तक निकल गई थी, अतः याचिकाकर्ता का दावा मंजूर किए जाने लायक न होने के कारण पीएससी ने दरकिनार कर दिया। जिसके खिलाफ हाई कोर्ट चला आया।