भोपाल। राज्य शिक्षा केन्द्र अंतर्गत कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय तथा बालिका छात्रावास में दस से पन्द्रह वर्षो से संविदा पर कार्यरत शिक्षिका सह सहायक वार्डन शोषण सहते-सहते तंग आकर आज आयुक्त राज्य शिक्षा केन्द्र से आकर मिली तथा उन्हें अपनी समस्याओं से अवगत कराया।
प्रदेश के विभिन्न जिलों से आई हुई सहायक वार्डनों ने अपर आयुक्त आरके मण्डलोई को अपनी समस्याओं से अवगत कराते हुये कहा कि बालिका छात्रावासों और कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में ज्यादातर विधवा और परित्यक्ता महिलाएं हैं उनके पास किसी भी प्रकार का वित्तीय अधिकार नहीं है, किसी की नियुक्ति नहीं कर सकती हैं। चतुर्थ श्रेणी का वेतन दिया जा रहा है। उसके बावजूद उनका स्थानातरण किया जा रहा है।
छात्रावास में रहने वाली बालिकाएं शालाओं में पढ़ने जाती हैं। वहां पर जो वार्डन होती है वो शिक्षिका होती है। वहीं उन्हें पढ़ाती है। विद्यालय में रेमिडयल टीचर्स पढ़ाती हैं उसके बावजूद सहायक वार्डन की संविदा बढ़ाने में शर्त जोड़ दी गई है कि यदि छात्रावास में रहने वाली 60 बालिकाएं। श्रेणी में नहीं आती हैं तो सहायक वार्डन की संविदा नहीं बढ़ाई जाए। ऐसे गलत नियम बनाकर संविदा पर कार्यरत शिक्षिका सह सहायक वार्डन का शोषण किया जा रहा है। इसके कारण उनको कारण बताओ नोटिस दिये जा रहे हैं। 24 घंटे की ड्यूटी कर रही हैं और वेतन भृत्य के बराबर दिया जा रहा है और सारी जिम्मेदारी सहायक वार्डन पर डाल दी गई है। जबकि वार्डन को किसी प्रकार की जिम्मेदार नहीं माना जाता है। वो केवल चैक पर हस्ताक्षर करने आती है।
वार्डनों के द्वारा आकस्मिक निधि भी नहीं दी जाती है। वर्तमान में कोविड के कारण छात्रावास बंद हैं। छात्रावास एकांत में बने हुये ऐसे में शिक्षिका सहसहायक वार्डन पर दबाव डाला जा रहा है कि वे छात्रावासों में चौकीदार के साथ रहे। ऐसे में यदि कोई अनहोनी घटना हो जाती है तो कौन जिम्मेदार होगा। ऐसी कई समस्याओं से प्रदेश के विभिन्न जिलों से आई हुई सहायक वार्डनों ने अपर आयुक्त राज्य शिक्षा केन्द्र को अवगत कराया।