भारत में मानसून विदा हो रहा है और सर्दी का मौसम आने ही वाला है। समझदार लोग मौसम के बिगड़ने से पहले ही उससे लड़ने की तैयारी कर लेते हैं, लेकिन तैयारियां उस समय ज्यादा ठीक प्रकार से हो पाती हैं जब मौसम का सटीक पूर्वानुमान अपने पास हो।
दिल्ली के वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक जीपी शर्मा का पूर्वानुमान
वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक जीपी शर्मा का कहना है कि हवाओं का रुख बदलने लगा है। निम्न दवाब वाले उत्तरी क्षेत्रों में अब उच्च दबाव की वजह से हवाओं की रफ्तार बढ़ी है। बीती रात सूखी तेज हवाएं चलीं। स्काईमेट वीदर सर्विस से जुड़े वैज्ञानिक शर्मा ने विस्तार से इस बारे में बताया कि इस समय 'ला नीना' की स्थिति बन रही है। इसके चलते जहां सर्दी का मौसम लंबा हो सकता है वहीं ठंड भी कड़ाके की पड़ सकती है। इसी वजह से मानसून की बारिश भी पूरे देश में सामान्य से ज्यादा हुई है। जबकि अल नीना की स्थिति में इसका उल्टा होता है।
खेती बाड़ी की दृष्टि से बहुत ही महत्त्वपूर्ण: डॉ जीपी सिंह
आगामी जाड़े का मौसम खेती बाड़ी की दृष्टि से बहुत ही महत्त्वपूर्ण होता है। इस बारे में इंडियन इंस्टीट्यूट आफ व्हीट एंड बारले रिसर्च के निदेशक डॉक्टर जीपी सिंह का कहना है कि ठंडी की जल्दी शुरुआत और जाड़ा सीजन के लंबा होने का सकारात्मक असर रबी सीजन की फसलों की उत्पादकता पर पड़ेगा। मानसून की अच्छी बारिश से मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात की मिट्टी में नमी पर्याप्त है, जिससे वहां गेहूं की खेती पहले हो सकती है। दूसरी दलहन व तिलहनी फसलों की खेती भी मिट्टी की प्राकृतिक नमी में हो जाएगी। इसके विपरीत उत्तरी राज्यों पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सितंबर में सामान्य से कम बारिश हुई है। इसी वजह से उत्तरी क्षेत्र के जलाशयों में जल का स्तर सामान्य से कम हो गया है। गेहूं उत्पादक इन राज्यों में खेती 100 फीसद सिंचित है। लेकिन ठंड का सीजन लंबा खिंचने से गेहूं की उत्पादकता बढ़ सकती है।