भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा उपचुनाव 2020, 28 सीटों पर लड़ा गया। इनमें से 5 सीटें ऐसी थी जहां पर बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस पार्टी ने एक दूसरे के वोट काटे और भारतीय जनता पार्टी को विजय प्राप्त हुई। 2 सीटों पर बसपा काफी मजबूत स्थिति में थी, जबकि कांग्रेस पार्टी के पास उचित प्रत्याशी भी नहीं थे। इसी प्रकार 3 सीटों पर भाजपा के सामने कांग्रेस मजबूत स्थिति में थी लेकिन बसपा कैंडिडेट के होने के कारण चुनाव हार गई। कुछ सालों पहले तक बहुजन समाज पार्टी मध्य प्रदेश में कांग्रेस की हार का कारण बना करती थी परंतु अब बसपा का जनाधार कांग्रेस के बराबर और कांग्रेस से ज्यादा होता जा रहा है।
पोहरी विधानसभा: कांग्रेस के कारण बसपा चुनाव हार गई
शिवपुरी जिले की पोहरी विधानसभा सीट पर बीजेपी के सुरेश धाकड़ ने जीत दर्ज की। लेकिन यहां बसपा प्रत्याशी कैलाश कुशवाह को 43848 वोट मिले और BSP इस सीट पर दूसरे नंबर पर रही। जबकि कांग्रेस के हरीवल्लभ शुक्ला 42638 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे। इस सीट पर हार-जीत का अंतर 22000 रहा। यानि पोहरी विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस का अस्तित्व समाप्त हो गया है। यहां भारतीय जनता पार्टी के अलावा बहुजन समाज पार्टी दूसरी बड़ी पार्टी बनकर सामने आई है। यदि कांग्रेस पार्टी अपना प्रत्याशी नहीं उतारती तो बहुजन समाज पार्टी रिकॉर्ड वोटों से जीत हासिल करती।
जौरा विधानसभा में बसपा का जनाधार बढ़ रहा है कांग्रेस का घट रहा है
मुरैना जिले की जौरा विधानसभा सभा सीट पर हार-जीत का अंतर 13446 रहा। यहां बीजेपी के सूबेदार सिंह रजौधा को 67599 वोट मिले। जबकि कांग्रेस प्रत्याशी पंकज उपाध्याय को 54121 वोट मिले। बसपा के सोनेराम कुशवाहा 48285 वोट लेकर तीसरे नंबर पर रहे। यानी इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी का जनाधार, कांग्रेस के बराबर आ गया है। यह लगातार बढ़ता जा रहा है। हालात यही रहे तो अगले चुनाव में कांग्रेस तीसरे नंबर पर होगी और बसपा मुख्य मुकाबले में होगी। यदि सीट को भाजपा से छीनना है तो कांग्रेस को अपने कदम पीछे करने होंगे।
मेहगांव में कांग्रेस की हार का कारण प्रत्याशी चयन और बसपा
भिंड जिले की मेहगांव विधानसभा सीट बीजेपी के ओपीएस भदौरिया ने कांग्रेस के हेमंत कटारे को 12000 हजार वोट से हराया। इस सीट पर बीजेपी के ओ पी एस भदोरिया को 72000 से अधिक और कांग्रेस के हेमंत कटारे को 60,000 से अधिक वोट मिले। बसपा के योगेश नरवरिया को 21960 वोट मिले। जो कांग्रेस प्रत्याशी हेमंत कटारे की हार की बड़ी वजह रही। इसका दूसरा कारण यह भी है कि मेहगांव हेमंत कटारे की कर्मभूमि नहीं है। कांग्रेस ने होने से चुनाव लड़ने के लिए भेजा था। स्थानीय प्रत्याशी नहीं होने का नुकसान हुआ है।
भांडेर सीट पर कांग्रेस की हार का कारण बसपा और दिग्विजय सिंह
दतिया जिले की भांडेर सीट पर हार-जीत का अंतर महज 171 रहा। इस सीट पर हार जीत का परिणाम सबसे कम रहा। यहां बसपा प्रत्याशी महेंद्र बौद्ध को 7055 वोट मिले। यानि अगर बसपा मैदान में नहीं होती तो भांडेर के परिणाम कुछ और हो सकते थे। यदि दिग्विजय सिंह चाहते तो महेंद्र बौद्ध को चुनाव लड़ने से रोक सकते थे परंतु उन्होंने ऐसा नहीं किया।
बड़ा मलहरा सीट से कांग्रेस की हार का कारण बसपा और प्रत्याशी चयन
बड़ा मलहरा सीट पर बसपा ने जैसे ही पूर्व मंत्री अखंड प्रताप सिंह यादव को प्रत्याशी बनाया। इस सीट पर कांग्रेस की परेशानियां बढ़ गयी। जो नतीजों में भी नजर आया। यहां भाजपा प्रत्याशी कुंवर प्रद्युम्न सिंह लोधी को 67000 से ज्यादा और कांग्रेस प्रत्याशी राम सिया भारती को लगभग 50000 वोट मिले। इस सीट पर हार-जीत का अंतर 17567 रहा। इस सीट पर बसपा प्रत्याशी अखंड प्रताप सिंह को 20502 वोट मिले। जो कांग्रेस की हार की बड़ी वजह माने गए। यहां कांग्रेस की हार का कारण बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस पार्टी का प्रत्याशी दोनों समान रूप से माने जा रहे हैं।