भोपाल। मध्यप्रदेश में कोरोनावायरस का सबसे ज्यादा नुकसान गरीब नागरिकों के उन बच्चों को होगा जो शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन लेकर पढ़ाई करने वाले थे। मध्य प्रदेश में इस साल राइट टू एजुकेशन के तहत प्राइवेट स्कूलों में गरीब नागरिकों के बच्चों का एडमिशन नहीं होगा। वर्तमान शिक्षा सत्र को 0 ईयर घोषित किया जा रहा है। इसके कारण बच्चों के 1 साल की पढ़ाई क्या नुकसान हो जाएगा।
240000 बच्चे इस साल पढ़ाई नहीं कर पाएंगे, सरकार अपना फायदा देख रही है
इस संबंध में राज्य शिक्षा केंद्र ने शासन को प्रस्ताव भेजा है। शासन से अनुमति मिलने के बाद निर्देश जारी होंगे। अगर आरटीई के तहत इस साल दाखिला नहीं होगा तो शासन के 115 करोड़ रुपये भी बचेंगे, क्योंकि कि हर साल करीब 2 लाख 40 हजार बच्चों का एडमिशन होता है और एक बच्चे के लिए सलाना 4870 रुपये की राशि सरकार की ओर से दी जाती है। बता दें कि सत्र 2020-21 के लिए आरटीई के तहत निजी स्कूलों की 25 फीसद सीटों पर नामांकन प्रक्रिया अब इस साल नहीं होंगे।
हालांकि प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन भी हुए हैं और फीस भी जमा हो रही है परंतु शिक्षा विभाग के अधिकारियों का तर्क है कि स्कूल खुले नहीं हैं तो नामांकन कैसे होंगे, जबकि नामांकन प्रक्रिया पूरी तरह से आनलाइन है। अभिभावकों के आनलाइन आवेदन के बाद लाटरी सिस्टम से बच्चों को स्कूल आवंटित किए जाते हैं।
ज्ञात हो कि आरटीई के तहत 2010 से निजी स्कूलों में 25 फीसद सीटों पर गरीब अभिभावक के बच्चों का दाखिला शुरू हुआ। नि:शुल्क प्रवेश की प्रक्रिया वर्ष 2011-12 से शुरू हुई। इसके तहत अब तक करीब 20 लाख बच्चों का नामांकन हो चुका है।
दूसरे राज्यों में प्रक्रिया पूरी
छत्तीसगढ़, बिहार सहित कुछ अन्य राज्यों में आरटीई के तहत आनलाइन नामांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। मध्यप्रदेश में अब तक प्रक्रिया शुरू नहीं की गई। जिन राज्यों ने प्रक्रिया पूरी कर ली है, वहां आनलाइन पढ़ाई भी शुरू हो चुकी है।
इनका कहना है
आरटीई के संबंध में जीरो ईयर घोषित करने के संबंध में शासन के पास प्रस्ताव भेजा गया है। अगर इस साल नामांकन नहीं होंगे तो उम्र की समय सीमा में छूट दी जाएगी, जिससे इस साल एडमिशन लेने वाले बच्चों का नुकसान ना हो। प्रमोद सिंह, उप सचिव ,स्कूल शिक्षा