नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने किसानों को क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराने के लिए नियम सरल कर दिए हैं। किसान क्रेडिट कार्ड योजना को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना से लिंक कर दिया गया है। इसके चलते किसान क्रेडिट कार्ड बनवाना आसान हो जाएगा। डाक्यूमेंट्स की ज्यादा झंझट नहीं रहेगी। मोदी सरकार ने भारत में मार्च 2021 तक 15 लाख करोड रुपए का लोन किसानों को बांटने का फैसला किया है। सरकार चाहती है कि किसानों को साहूकारों के ब्याज के चंगुल से बचाया जाए।
उल्लेखनीय है कि किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत 3 लाख रुपये तक का कर्ज सिर्फ 7 फीसदी ब्याज पर मिलता है। समय पर पैसा लौटा देते हैं तो 3 फीसदी की छूट मिलती है। इस तरह ईमानदार किसानों को 4% ब्याज पर ही पैसा मिल रहा है। जो साहूकारों के 2% प्रति महीना न्यूनतम ब्याज दर से काफी अच्छा है।
KCC जारी करने में आनाकानी नहीं कर पाएंगे बैंक
पीएम किसान स्कीम के तहत देश के 11 करोड़ किसानों की जमीन का रिकॉर्ड और उनका बायोमिट्रिक केंद्र सरकार के पास है। ऐसे में दोनों स्कीमों को लिंक कर दिया गया है। जिसकी वजह से अब आवेदक को लोन देने में बैंक अधिकारी पहले की तरह आनाकानी नहीं कर पाएंगे। इस समय देश में करीब 8 करोड़ किसान क्रेडिट कार्ड धारक हैं। सरकार का लक्ष्य है कि पीएम किसान स्कीम के सभी लाभार्थियों के पास यह कार्ड भी हो।
साहूकारों से कहां सबसे अधिक कर्ज लेते हैं किसान?
लोकसभा में पेश एक रिपोर्ट के मुताबिक देश के हर किसान पर औसतन 47,000 रुपये का कर्ज है। जिसमें साहूकारों से इतना कर्ज लिया गया है कि यह प्रति किसान 12,130 रुपये औसत आता है। हमने ऐसी व्यवस्था बनाई है जिसमें करीब 58 फीसदी अन्नदाता कर्जदार हैं। एनएसएसओ (NSSO) के मुताबिक साहूकारों से सबसे ज्यादा 61,032 रुपये प्रति किसान औसत कर्ज आंध्र प्रदेश में है। दूसरे नंबर पर 56,362 रुपये औसत के साथ तेलंगाना है और तीसरे नंबर पर 30,921 रुपये के साथ राजस्थान है।
साहूकारों से कर्ज लेकर वे ऐसे दुष्चक्र में फंस जाते हैं कि सबकुछ बिक जाता है और वे पैसा न लौटा पाने की स्थिति में आत्महत्या के लिए मजबूर होते हैं। जबकि केसीसी (KCC) उनकी जिंदगी आसान कर सकता है। कर्ज लेना आसान बनाने के लिए सरकार ने साल 1998 में किसान क्रेडिट कार्ड स्कीम शुरू की थी।
केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी के मुताबिक पहले केसीसी के तहत लोन पाने की प्रक्रिया कठिन थी। इसीलिए पीएम किसान स्कीम से केसीसी को जोड़ दिया गया है। पीएम किसान स्कीम की वेबसाइट पर ही केसीसी का फार्म उपलब्ध करवा दिया गया है। इसलिए बैंकों से कहा गया है कि वे सिर्फ तीन डॉक्यूमेंट लें और उसी के आधार पर लोन (Loan) जारी कर दें।
केसीसी के लिए जरूरी दस्तावेज
आवेदक किसान है या नहीं। इसके लिए उसका राजस्व रिकॉर्ड देखा जाएगा। उसकी पहचान के लिए आधार, पैन, फोटो ली जाएगी और तीसरा उसका एफीडेविड लिया जाएगा कि किसी बैंक में आवेदक का कर्ज तो बकाया नहीं है। सरकार ने बैंकिंग एसोसिएशन से केसीसी बनाने के काम में तेजी लाने को कहा है। सरकार की सलाह पर ही बैंकों ने इसकी प्रोसेसिंग फीस खत्म कर दी है। जबकि पहले केसीसी बनवाने के लिए 2 से 5 हजार रुपये तक का खर्च आता था।
कौन ले सकता है केसीसी
अब केसीसी सिर्फ खेती-किसानी तक सीमित नहीं है। पशुपालन और मछलीपालन भी इसके तहत 2 लाख रुपये तक का कर्ज मिल सकेगा। खेती-किसानी, मछलीपालन और पशुपालन से जुड़ा कोई भी व्यक्ति, भले ही वो किसी और की जमीन पर खेती करता हो, इसका लाभ ले सकता है। न्यूनतम उम्र 18 साल और अधिकतम 75 साल होनी चाहिए। किसान की उम्र 60 साल से अधिक है तो एक को-अप्लीकेंट भी लगेगा। जिसकी उम्र 60 से कम हो। किसान के फॉर्म भरने के बाद बैंक कर्मचारी देखेगा कि आप इसके लिए योग्य हैं या नहीं।