जबलपुर। केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) ने बुधवार को एक अहम आदेश में मप्र के पांच आईपीएस अफसरों की सीनियरिटी बहाल कर दी है। मध्यप्रदेश शासन ने इन सभी को 2010 ग्रेड दिया था, जिसके चलते सभी पांचों आईपीएस अफसर अपने जूनियर से भी जूनियर हो गए थे। न्यायाधिकरण के फैसले के बाद भारतीय पुलिस सेवा के पांचो अधिकारियों को अब प्रमोशन मिल पाएगा।
सरकार की गलती के कारण प्रमोशन नहीं मिल पा रहा था
कैट ने 1995 बैच के पांचों आईपीएस जयदीप प्रसाद, चंचल शेखर, मीनाक्षी शर्मा, योगेश देशमुख व वेंकटेश्वर राव को एक जनवरी 2008 से ग्रेड देने का आदेश राज्य शासन को दिया है। आईपीएस अफसरों की ओर से कैट में अधिवक्ता पंकज दुबे ने पक्ष रखा। सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देकर दलील दी कि सरकार की गलती का नुकसान लोक सेवक को नहीं होना चाहिए। इस गलती के चलते आवेदक एडीजी पद पर पदोन्नत नहीं हो पा रहे हैं। इसके विपरीत उनके बाद के बैच को और पूर्व के बैच को सही समय पर ग्रेड दिया गया। इसके चलते उनकी ग्रेड-पे अपने जूनियर बैच से भी कम हो गई।
सरकार के पास कोई जवाब नहीं था, फिर भी 12 साल लड़ना पड़ा
कैट में भी राज्य शासन देरी का कोई कारण नहीं बता पाया। उक्त आईपीएस अफसरों के आवेदन को यह कहकर खारिज कर दिया कि पद नहीं हैं। कैट में केस करने के बाद राज्य शासन ने ये कहा कि आईपीएस कैडर रिव्यू देर से हुआ तो पद नहीं थे। दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों और बहस के बाद कैट ने बुधवार को अपना अहम फैसला दिया। राज्य शासन को आदेश दिया कि पांचों आईपीएस अफसरों को 1 जनवरी 2008 से सलेक्शन ग्रेड दिया जाए। 12 वर्षों बाद ये निर्णय आया है। इस फैसले के बाद सभी के एडीजी बनने का रास्ता भी साफ हो गया है।